अमरिंदर सिंह ने एनजीटी को बताया- पंजाब में पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध की कोई आवश्यकता नहीं

चंडीगढ़। देश के कई राज्यों ने इस दिवाली पटाखों के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है। वजह साफ है एक तो वायु प्रदूषण और दूसरा घातक होता कोरोना वायरस। वहीं पंजाब के लोग दिवाली पर पटाखे जला सकेंगे। दरअसल पंजाब सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को बताया कि पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि राज्य का कोई भी हिस्सा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नहीं आता है। सरकार ने कहा कि अमृतसर, लुधियाना, मंडी गोविंदगढ़, पटियाला, जालंधर और खन्ना में सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (सीएएक्यूएमएस) स्थापित किए गए हैं और अगस्त में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अच्छे स्तर पर रहा, जबकि यह सितंबर में संतोषजनक और अक्टूबर में मध्यम श्रेणी में रहा।
बता दें कि पंजाब में कोरोना वायरस का कहर कुछ हद तक कम हो गया है। राज्य में स्थिति में थोड़ा सुधार दर्ज हो रहा है। वहीं पंजाब सरकार ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से विभिन्न समाचार पत्रों में सार्वजनिक नोटिस जारी कर दिवाली, गुरुपरब, क्रिसमस और नए साल के दौरान पटाखे फोड़ने की अवधि संबंधी प्रतिबंध लगाए थे। राज्य सरकार ने कहा कि उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर और कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि में इस मामले पर गहन विचार के बाद, विनम्रता से यह अवगत कराया जाता है कि पंजाब राज्य में पटाखे के उपयोग पर प्रतिबंध की आवश्यकता नहीं है। एनजीटी को पहले सूचित किया गया कि नवीनतम शोध के अनुसार कोविड-19 से होने वाली मृत्यु को बढ़ाने में वायु प्रदूषण एक महत्वपूर्ण सह-कारक है। वरिष्ठ अधिवक्ता राज पंजवनी और पटाखों पर प्रतिबंध से संबंधित एक मामले में अधिकरण द्वारा न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) के रूप में नियुक्त अधिवक्ता शिभानी घोष ने एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति डॉ. ए के गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ को बताया था कि दुनिया भर में कोविड-19 से होने वाली मौतों में वायु प्रदूषण का योगदान 15 प्रतिशत है।
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