Amritpal Singh असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद रहेगा, जानें इसकी खासियत

खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) को पंजाब (Punjab) के मोगा के रोड़ेवाल गुरुद्वारे से पंजाब पुलिस ने रविवार तड़के गिरफ्तार कर लिया गया है। पंजाब पुलिस (Punjab Police) को गुरुद्वारे के एक ग्रंथी ने इस बात की जानकारी दी कि अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने मोगा के गुरुद्वारे में शरण ली हुई है। इसके बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अमृतपाल सिंह को गुरुद्वारे से धर दबोचा है। पंजाब पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि लोग सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की अफवाहें ना फैलाएं। उन्होंने आगे कहा कि अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) पर एनएसए (NSA) लगाया गया है। उसे पंजाब से असम (Assam) की डिब्रूगढ़ जेल (Dibrugarh Jail) ले जाया जा रहा है, जहां पर पहले से ही उसके साथी जेल में बंद हैं। आइए जानते हैं कि ऐसी क्या खासियत है पंजाब की डिब्रूगढ़ (Dibrugarh Jail) जेल मे जो वारिस पंजाब दे संगठन (Waris Punjab De) के लोग इसमे बंद हैं।
असम की डिब्रूगढ़ जेल की खासियत
अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) के संगठन वारिस पंजाब दे (Waris Punjab De) से जुड़े सात लोगों पर एनएसए (NSA) लगाए जाने के बाद असम के डिब्रूगढ़ (Dibrugarh Jail) स्थित सेंट्रल जेल भेजा गया है। अमृपाल सिंह को भी एयरक्राफ्ट के जरिए वहीं पर ले जाया जा रहा है। पूर्वोत्तर भारत के राज्य की असम के डिब्रूगढ़ की जेल साल 1859-60 में ब्रिटिश सरकार (British Government) के द्वारा बनाई गई थी। यह जेल तकरीबन 166 साल पुरानी है। डिब्रूगढ़ जेल (Dibrugarh Jail) को देश की आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले भारतीयों को रखने के लिए बनाया गया था। भारत की आजादी के बाद से जेल में अलगाववादियों से लेकर खालिस्तानियों (Khalistani) को रखा गया है। जेल के बाहर लगे गेट पर काली वर्दी पहने आधुनिक हथियार के साथ तैनात असम पुलिस के ब्लैक कैट कमांडो इस जेल की निगरानी करते हैं।
असम के डिब्रूगढ़ (Dibrugarh Jail) शहर के बीचों बीच असम ट्रंक रोड के पास फूल बागान इलाक़े में ये सेंट्रल जेल लगभग 47 बीघे में फैली हुई है। इस जेल के चारों तरफ लगभग 30 फ़ीट से ऊंची दीवारें बनी हुई है। इस जेल में कैदियों को रखने की क्षमता तकरीबन 680 है लेकिन यहां पर कैदियों की ज्यादा भीड़ नहीं होती है। इस जेल में बंद किए गए कैदियों को हफ्ते में दो बार मिलने की अनुमति होती है। वहीं, दूसरी तरफ जिन लोगों पर एनएसए लगाया जाता है, तो उनको मिलने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होती है। इस जेल में 57 सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाती है।
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