सुखबीर सिंह बादल ने राष्ट्रपति से किया अनुरोध, कृषि विधेयकों पर हस्ताक्षर न करें, इन्हें पुनर्विचार के लिए संसद को लौटाएं

चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने संसद द्वारा पारित कृषि विधेयकों पर राष्ट्रपति से अपनी सहमति नहीं देने और इन्हें पुनर्विचार के लिए संसद को लौटाने का अनुरोध किया। बादल ने कहा कि विधेयकों का पारित होना देश में लोकतंत्र और करोड़ों लोगों के लिए "दुखद दिन" है। राज्यसभा द्वारा तीन में से दो विधेयकों को पारित किये जाने के शीघ्र बाद शिअद नेता ने एक बयान में कहा कि लोकतंत्र का अर्थ है आम सहमति, बहुमत में मौजूद लोगों द्वारा दमन नहीं।
गौरतलब है कि संविधान राष्ट्रपति को संसद द्वारा पारित कुछ खास श्रेणी के विधेयकों को सहमति के लिये अपने पास भेजे जाने पर उन्हें रोक रखने की शक्ति भी प्रदान करता है। बादल ने कहा कि विधेयकों का पारित होना देश में लोकतंत्र और करोड़ों लोगों के लिए "दुखद दिन" है। राज्यसभा द्वारा तीन में से दो विधेयकों को पारित किये जाने के शीघ्र बाद शिअद नेता ने एक बयान में कहा कि लोकतंत्र का अर्थ है आम सहमति, बहुमत में मौजूद लोगों द्वारा दमन नहीं। बादल ने राष्ट्रपति से आग्रह किया, ''कृपया किसान, किसान मजदूर, मंडी मजदूर और दलितों के साथ खड़े होइए।'' उन्होंने कहा, ''अन्नदाता को भूखा ना छोड़ें या बेसहारा न करें, उन्हें सड़कों पर सोने को मजबूर न करें।'' विपक्ष के हंगामे के बीच, राज्यसभा ने रविवार को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी। लोकसभा में ये विधेयक पहले ही पारित हो चुके हैं।
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