हौसले को सलाम : लकवाग्रस्त 21 साल के पीड़ित तुहिन डे ने जेईई परीक्षा में मारी बाजी

कहते हैंं अगर किसी चीज को सच्चे दिल करने की ठान लो तो कोई ताकत तुम्हें उससे मिलाने से नहीं रोक सकती। बस इरादे मजबूत होने चाहिएं। ऐसा ही एक मिसाल कायम कर देने वाले मामले के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। तुहिन डे का गले से नीचे का शरीर भले ही लकवाग्रस्त हो, लेकिन उनके इरादे फौलाद से भी मजबूत हैं और इन्हीं की बदौलत उन्होंने जेईई परीक्षा में सफलता हासिल की। सेरेबल पाल्सी रोग से पीड़ित 21 वर्षीय डे मुंह से पेन पकड़कर लिखते हैं और इसी तरह से वह अपना मोबाइल फोन और कंप्यूटर चलाते हैं। जेईई (मुख्य) परीक्षा में 438 वीं रैंक हासिल कर पश्चिम बंगाल के शिवपुर स्थित भारतीय अभियांत्रिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान में प्रवेश लिया है।
अब तक हो चुकी हैं 20 सर्जरी, मगर नहीं टूटा हौंसला
अब तक डे की 20 सर्जरी हो चुकी है तथा उनकी हड्डियों को सीधा रखने के लिए कई प्लेटें लगाई जा चुकी हैं। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के रहने वाले डे ने राजस्थान के कोटा में रहकर परीक्षा की तैयारी की। उन्होंने पिछले साल जेईई एडवांस्ड परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी, लेकिन कक्षा 12 में जरूरी अंक प्राप्त नहीं कर सके थे। आईआईईएसटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने फोन पर कहा कि संस्थान में सभी खुश हैं ऐसे किसी छात्र ने प्रवेश लिया है। मैं प्रसन्न हूं कि उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं और वह हमारे लिए निश्चित रूप से अच्छे छात्र साबित होंगे।
पहली बार ऐसा विकलांग छात्र करेगा अध्ययन
अधिकारी ने कहा कि यह पहली बार है जब 90 प्रतिशत विकलांगता वाला कोई छात्र उनके संस्थान में अध्ययन करेगा। महान भौतिकशास्त्री स्टीफन हाकिंग तुहिन डे के आदर्श हैं। डे ने कहा कि इंजीनियरिंग में शारीरिक रूप से ज्यादा काम नहीं करना होता इसलिए उन्होंने अपने सपने को सच करने के लिए इसे चुना।
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