सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही: ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई खत्म हुई तो बदलने वाला कोई नहीं, खतरे में पड़ी 8 मासूमों की जान

सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही: ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई खत्म हुई तो बदलने वाला कोई नहीं, खतरे में पड़ी 8 मासूमों की जान
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हाल ही में चूरू में शनिवार को एक ऐसी घटना हुई जिसने एक बार फिर राज्य में चिकित्सा व्यव्स्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। चूरू जिले के सबसे बड़े राजकीय भारतीय जिला अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है।

चूरू। राजस्थान में कोरोना वायरस का प्रकोप कम हो गया है। प्रदेश में इस घातक बीमारी को लेकर स्थिति में सुधार देखा जा रहा है। वहीं राज्य में कोरोना वायरस की तीसरी लहर को लेकर चिकित्सा व्यवस्था को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। लेकिन हाल ही में चूरू में शनिवार को एक ऐसी घटना हुई जिसने एक बार फिर राज्य में चिकित्सा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

दरअसल, चूरू जिले के सबसे बड़े राजकीय भारतीय जिला अस्पताल में शनिवार को बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां एमसीएच विंग (MCH Wing) में सप्लाई होने वाले ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant) में लगे ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen celender) खत्म हो गए। सबसे चिंताजनक बात यह थी कि इन ऑक्सीजन सिलेंडरों को बदलने वाला वहां कोई मौजूद नहीं था। ऐसे में एसएनसीयू वार्ड में भर्ती आठ बच्चों की जान जोखिम में आ गई। जब अधिकारियों को इसकी जानकारी लगी तो स्टाफ ने आनन फानन में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लगाकर नवजातों को ऑक्सीजन देकर बचाय। वहीं अगर इसमें थोड़ी भी देर हो जाती तो अस्पताल में भर्ती मासूमों की जान को खतरा हो सकता था। इस दौरान एसएनसीयू वार्ड में भर्ती एक नवजात का सैचुरेशन 70 तक पहुंच गया और उसकी तबियत बिगड़ने लगी।

लापरवाही पर पर्दा डालने का प्रयास

वहीं जब इस मामले का राज खुला तो अस्पताल प्रशासन ने अपनी लापरवाही स्वीकार ने से ही मना कर दिया। एसएनसीयू वार्ड प्रभारी इस लापरवाही पर पर्दा डालकर मामला दबाने का प्रयास करते नजर आए। एमसीएच विंग में ऑक्सीजन प्लांट की देखरेख का काम निजी कंपनी के कर्मियों को सौंपा हुआ था। जिनकी टेंडर अवधि दो जुलाई को समाप्त हो गई थी। फिर भी वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर उन्हें रखा हुआ था।

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