rajasthan crisis : बसपा विधायकों के कांग्रेस के साथ विलय को लेकर भाजपा विधायक ने कोर्ट में दायर की याचिका

जयपुर। राजस्थान की राजनीतिक संकट कब कौन सा मौड़ ले ले ये कोई नहीं जान सकता। रोजाना राजनीतिक घटनाक्रम में कोई न कोई फेरबदल या आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। अब भाजपा के एक विधायक ने राजस्थान उच्च न्यायालय में शुक्रवार को याचिका दायर कर बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस के साथ हुए विलय को रद्द करने का अनुरोध किया। इस कदम से राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी को विधानसभा में बहुमत बरकरार रखने में मदद मिली है।
मदन दिलावर द्वारा दायर इस याचिका में विधानसभा अध्यक्ष की 'निष्क्रियता' को भी चुनौती दी गई है जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी के विधायकों को विधानसभा से अयोग्य ठहराने के उनके अनुरोध पर कोई निर्णय नहीं लिया है। उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश की पीठ सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगी।
बसपा की टिकट पर संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुधा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। उन्होंने पिछले साल 16 सितंबर को कांग्रेस में एक समूह के तौर पर विलय के लिए अनुरोध किया था। विधानसभा अध्यक्ष ने दो दिन बाद एक आदेश पारित कर घोषणा की थी कि इन छह विधायकों को कांग्रेस का अभिन्न अंग माना जाएगा। यह विलय अशोक गहलोत नीत सरकार को बढ़ावा देने वाला था क्योंकि 200 सदस्यीय सदन में कांग्रेस का संख्याबल बढ़कर 107 हो गया था। भाजपा विधायक ने इस विलय को दल-बदल नहीं माने जाने के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी के समक्ष याचिका दी थी जिससे इन छह विधायकों को विधानसभा से अयोग्य करार दिया जा सकता था। दिलावर ने अब अपनी याचिका के साथ हुए बर्ताव की कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी द्वारा दायर याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा की गई कार्रवाई के साथ तुलना की है जिसमें सचिन पायलट नीत 19 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि जहां विस अध्यक्ष ने कांग्रेस से शिकायत मिलने वाले दिन ही 19 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी कर दिया वहीं उनके मामले में चार माह बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
राजस्थान में कानूनी लड़ाई के बीच दायर की गई याचिका
उच्च न्यायालय में भाजपा की यह याचिका ऐसे समय में दाखिल की गई है जब बागी विधायकों को भेजे गए स्पीकर के नोटिस पर कानूनी लड़ाई चल रही है जिन्होंने अयोग्य ठहराने के कदम के खिलाफ अदालत का रुख किया। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष से उनके द्वारा भेजे गये नोटिसों पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं करने को कहा। राजस्थान में राजनीतिक घमासान जारी रहने के बीच, स्पीकर सी पी जोशी नोटिसों पर कार्रवाई रोक कर रखने के उच्च न्यायालय के निर्देश को लेकर पहले ही उच्चतम न्यायालय का रुख कर चुके हैं।
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