राजस्थान के इस गांव में कोरोना का कहर, एक महीने में 40 से अधिक लोगों की हो चुकी है मौत

जयपुर। राजस्थान में कोरोना वायरस का आतंक अब शहरों में ही बल्कि गांव को भी अपनी चपेट में ले रहा है। अधिकतर गांव संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। राज्य के अजमेर जिले के एक गांव में एक महीने में 40 से अधिक लोगों की मौत हुई है। स्थानीय लोगों का दावा है कि यह असामान्य रूप से अधिक है। मरने वालों में सात लोग कोरोना संक्रमित थे, जबकि शेष अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित थे।
आम दिनों की तुलना में दोगुनी हुई मौतें
स्थानीय लोगों का दावा है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान आम दिनों की तुलना में दोगुनी मौतें हुई हैं। हालांकि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कोरोना संक्रमण के कारण केवल सात लोगों की मौत होने की पुष्टि की है। क्षेत्र के स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्र के प्रभारी डॉ हुकुम सिंह ने बताया कि सोमलपुर गांव में पिछले एक महीने में 23 महिलाओं समेत कुल 43 लोगों की मौत हुई है। इनमें से चार पुरूष और 3 महिलाएं कोरोना संक्रमित थीं जबकि अन्य लोगों में कोरोना संक्रमण का पता नहीं चल सका, लेकिन ये सभी किडनी अथवा हृदय रोग जैसी बीमारियों से पीड़ित थे। उन्होंने बताया कि सभी लोग बुजुर्ग थे।
क्या कहते हैं सरपंच
सोमलपुर के सरपंच छोगा नाथ ने कहा कि क्षेत्र की जनसंख्या लगभग 9,000 है और सामान्य रूप से एक महीने में औसतन 20-22 लोगों की मौत होती है। सरपंच ने कहा कि एक महीने के दौरान सामान्य से दौगुनी मौतें हुई है, जोकि असामान्य बात है। मौतों का कारण कोरोना संक्रमण हो सकता है। हालांकि निर्णायक रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है क्योंकि सात मामलों को छोडकर कोई जांच रिपोर्ट नहीं है। मुस्लिम बाहुल्य गांव में अजमेर निवासी शौकत अहमद के रिश्तेदार की भी मौत हुई है। उन्होंने बताया कि गांव में साक्षरता और जागरूकता का स्तर काफी कम है और यह अत्यधिक संदेहास्पद है कि वो लोग कोरोना संक्रमण से पीड़ित हो सकते है। उन्होंने बताया कि गांव में पिछले एक महीने में मौतें हो रही है और लोग अब डरे हुए है तथा घर पर ही रह रहे है। डॉ हुकुम सिंह ने बताया कि जागरूकता के अभाव में गांव में कोरोना टीकाकरण बहुत धीमा है।
नहीं लगवा रहे टीके
उन्होंने बताया कि हमने गांव में टीकाकरण के लिये सात कैंप आयोजित किये है लेकिन लोगों का रूझान बहुत कम रहा। रमजान के महीने के दौरान टीकाकरण लगभग शून्य रहा।
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