पोकरण में एंटी टैंक मिसाइल 'नाग' ने बढ़ाई सेना की ताकत, अचूक निशाना लगाने की क्षमताओं समेत ये हैं खासियतें

मिसाइल परीक्षण के मामले में भारत किसी भी देश से कमजोर नहीं है। यहां सेना अपनी ताकत का मुजाहिरा करने और दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देने की तैयारी में लगी रहती है। वहीं आज भारतीय सेना की ताकत और भी इजाफा हुआ है। राजस्थान के पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज में बृहस्पतिवार सुबह एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल 'नाग' का एक वारहेड के साथ सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की ओर से विकसित 'नाग' के अंतिम चरण के सफल परीक्षण के बाद अब ये आर्मी में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
'नाग' मिसाइल शामिल होने के बाद सेना की क्षमता काफी बढ़ जाएगी। सीमा पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच इन मिसाइलों का परीक्षण काफी अहम माना जा रहा है। इससे पहले भी नाग मिसाइल के कई अन्य ट्रायल किए जा चुके हैं। इस स्वदेशी मिसाइल में अचूक निशाना लगाने की क्षमता है और दुश्मन के टैंक को नेस्तानाबूद कर सकती है।
डीआरडीओ ने 1980 में समन्वित मिसाइल विकास कार्यक्रम शुरू किया था, जिसके अंतर्गत पांच मिसाइलें विकसित करने का लक्ष्य था। एंटी टैंक मिसाइल 'नाग' का निर्माण 1990 में शुरू हुआ। नाग मिसाइल थर्ड जनरेशन मिसाइल है जो दागो और भूल जाओ के सिद्धांत पर काम करती है।
तीन से आठ किलोमीटर है मिसाइल की मारक क्षमता
वैसे तो इस मिसाइल में अनेक तरह की खूबियां हैं। इसकी मारक क्षमता 3 से 8 किलोमीटर है। इसकी गति 230 मीटर प्रति सैकेण्ड है। यह अपने साथ आठ किलोग्राम विस्फोटक ले जा सकती है जो टैंक को नेस्तानाबूद कर सकती है।
नाग मिसाइल दागने वाले कैरियर को नेमिका कहा जाता है। ऊंचाई पर जाकर यह टैंक के ऊपर से हमला करती है। 'नाग' मिसाइल किसी भी टैंक को ध्वस्त करने में सक्षम मानी जाती है। इस मिसाइल का वजन करीब 42 किलोग्राम है। इसे 10 साल तक बगैर किसी रखरखाव के प्रयोग किया जा सकता है।
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