ऑर्गेनिक खेती ने बदला युवक का विचार, 18 लाख का पैकेज छोड़कर जमाया करोड़ों का कारोबार

राजस्थान के जोधपुर जिले के एक छोटे से गांव अउवा के रहने वाले दीपक ने ऑर्गेनिक खेती के क्षेत्र में जो कुछ किया, उसकी सराहना किए बिना कोई नहीं रह सकेगा। 35 वर्षीय दीपक जापान में ऐशो-आराम की नौकरी कर रहे थे। सालाना 18 लाख का पैकेज मिल रहा था, बावजूद इसके एक विचार ने दीपक को जापान छोड़कर भारत लौटने के लिए विवश कर दिया। यह विचार था आर्गेनिक खेती करने का। शुरू में परिजनों ने भी दीपक को नौकरी छोड़ने के लिए सवाल उठाए, लेकिन अब परिजन ही नहीं बल्कि पूरा गांव और आसपास के क्षेत्रों मेंं भी दीपक का नाम मशहूर हो चुका है। तो चलिए बताते हैं कि प्रति माह डेढ़ लाख रुपये कमाने वाले दीपक ने आज ऑर्गेनिक खेती में करोड़ों रुपये का कारोबार जमा लिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दीपक ने बताया कि जब मैं टोक्यो में था, तो उनका दोस्त हमेशा भारत के विद्वान राजीव दीक्षित के वीडियो देखा करता था और हमेशा चर्चा करता था कि भारत में खानपान बेहतर है। उन्होंने बताया कि एक दिन मैं गिर गया और हाथ की हड्डी टूट गई। जब डॉक्टर के पास गया तो उन्होंने भी कहा कि जापान और भारत के खान-पान में काफी अंतर है। आप यहां जो खाना खा रहे हैं, उससे आपकी हड्डी कमजोर हो गई हैं। उसी दौरान जब मैंने राजीव जी की वीडियो देखा तो अपने देश भारत लौटने का विचार आया। जब यह बात घरवालों को बताई तो बहुत नाराज हुए और कहने लगे कि इतनी अच्छी जॉब नहीं छोड़नी चाहिए।
दीपक ने आगे बताया कि मैंने इस बात को नजरअंदाज कर दिया और भारत आने का फैसला किया। भारत आने के बाद 2017 में गृह जिले जोधपुर के आसपास के जिलों में भी किसानों से संपर्क करने लगे। नागौर, बाड़मेर, जालोर, पाली, सिरोही, गंगानगर, बीकानेर, प्रतापगढ़, उदयपुर जिलों के किसानों से बात करके ऑर्गेनिक खेती के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि साल 2018 में उनके पास 40 किसान जुड़कर काम करने लगे। आज ऑर्गेनिक खेती में इतना आगे बढ़ गए हैं कि भारत के साथ अन्य देश जैसे यूएसए, जर्मनी, यूरोप में भी माल सप्लाई करने लगे हैं। इससे किसानों की आमदनी बढ़ चुकी है। दीपक ने बताया कि मैं अपने जैविक कामों को करके खुशी मिलती है। आज वे सालाना 24 करोड़ का कारोबार संभाल रहे हैं।
पूरे जिले को दीपक पर नाज
दीपक जोधपुर जिले के छोटा सा गांव आउवा को रहने वाले हैं। उन्होंने अपने गांव में 2001 में दसवीं की पढ़ाई की। इसके बाद 2004 में देवली में पढ़ा। इंटर कॉलेज के बाद 2007 में शादी हो गई। इनके पिता मुंबई में 1997 से बिल्डर का काम करते थे। दीपक अपने आगे की पढ़ाई एमबीए करने मुंबई चले गए। उन्होंने वहां कैट परीक्षा पास की। दीपक के पिता के काम में नुकसान होने के कारण बीच में पढ़ाई छोड़कर एक डायमंड कंपनी में मार्केटिंग की जॉब की। इनके काम से खुश होकर कंपनी ने 2012 में जापान के टोक्यो शहर में 18 लाख के पैकेज पर बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर के पद पर भेज दिया। वो ऐशो-आराम की जीवन जी रहे थे, लेकिन एक वीडियो ने ऐसी सोच बदली, जिसके बदौलत किसानों की जिंदगी बदल गई है। आज न केवल परिवार को बल्कि जिले और आसपास के जिलों के रहने वाले लोगों को भी दीपक पर खासा नाज है।
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