राजस्थान में कृषि विधेयकों को लेकर गरमाई राजनीति, केंद्र सरकार के विरोध में धरने पर बैठे ये दो बड़े सांसद

राजस्थान में कृषि विधेयकों को लेकर गरमाई राजनीति, केंद्र सरकार के विरोध में धरने पर बैठे ये दो बड़े सांसद
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राजस्थान दो सांसद किसानों की मांगे उठाते हुए धरने पर हैं। भाजपा के दौसा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा जहां दौसा कलेक्ट्रेट के बाहर राज्य की गहलोत सरकार के खिलाफ ‘पड़ाव’ डाले बैठे हैं, तो वहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल के नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल अलवर के शाहजहांपुर-खेड़ा बोर्डर पर मोदी सरकार के विरोध में मोर्चा खोले हुए हैं।

देश में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि विधेयकों को लेकर बवाल मचा हुआ है। एक तरफ किसान इन विधेयकों को रद्द करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं वहीं दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज है। राजस्थान में भी इन विधेयकों को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। राजस्थान दो सांसद किसानों की मांगे उठाते हुए धरने पर हैं। भाजपा के दौसा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा जहां दौसा कलेक्ट्रेट के बाहर राज्य की गहलोत सरकार के खिलाफ 'पड़ाव' डाले बैठे हैं, तो वहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल के नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल अलवर के शाहजहांपुर-खेड़ा बोर्डर पर मोदी सरकार के विरोध में मोर्चा खोले हुए हैं। ख़ास बात ये है कि दोनों ही नेता भले ही अलग-अलग राजनीतिक दलों से ताल्लुक रखते हों, लेकिन मकसद किसानों की मांग उठाते हुए सरकार को घेरने का बना हुआ है।

राज्य सभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा अपने ही संसदीय क्षेत्र की दौसा कलेक्ट्रेट के बाहर 6 सूत्री मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। कलक्टर सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से मान मनुहार और आश्वासनों के बावजूद सांसद का धरना अब तक जारी है। डॉ किरोड़ी की कुल 6 मांगों में से दो मांगें किसानों के हित से जुडी हुई हैं। इनमें बिजली बिलों में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी छूट पुनः लागू करने और फ्यूल चार्ज के नाम पर वसूली जा रही राशि तुरंत प्रभाव से बंद करने से जुडी मांगें शामिल हैं, जो किसानों को राहत दिलाने की मंशा से उठाया जाना बताया गया है।

सांसद हनुमान बेनीवाल तो केंद्र के कृषि कानून के विरोध में पिछले 28 दिन से धरने पर हैं। वे अलवर के शाहजहांपुर-खेड़ा बोर्डर पर अपने सैंकड़ों समर्थकों के साथ पड़ाव डाले हुए हैं। बेनीवाल भी इस बात पर अड़े हुए हैं कि जब तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक वे किसान आन्दोलन के समर्थन में शांतिपूर्ण तरीके से धरना जारी रखेंगे।

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