बारां दुष्कर्म मामला : राजस्थान पुलिस महानिदेशक से मिलीं महिला आयोग की सदस्य

जयपुर। राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य राजुलबेन देसाई ने सवाल किया कि बारां के कथित दुष्कर्म मामले में कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकती, भले ही पीड़िताओं ने अपनी इच्छा से आरोपियों के साथ जाने की बात कही हो। देसाई के अनुसार इस मामले में पीड़िताएं नाबालिग हैं और नाबालिग की रजामंदी वैधानिक रूप से रजामंदी नहीं होती। आयोग सदस्यों देसाई व श्यामला कुंदर शनिवार को यहां पुलिस महानिदेशक से मिलीं। देसाई ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मैंने मुख्यमंत्री का बयान देखा कि इस मामले में लड़कियों ने अपने बयान में स्वीकार किया कि वे अपनी मर्जी से गयी थीं लेकिन यहां एक कानूनी बिंदु उठता है कि लड़कियां नाबालिग हैं और नाबालिग की रजामंदी कानून की भाषा में रजामंदी नहीं है। उन्होंने कहा कि क्या उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती?
क्या है पूरा मामला?
उल्लेखनीय है कि राज्य के बारां शहर की दो नाबालिग बहनें 19 सितंबर को घर से गायब हो गयी थीं जिन्हें 22 सितंबर को कोटा में बरामद किया गया। बयान आदि दर्ज करने के बाद इन बालिकाओं को उनके परिजनों को सौंप दिया गया। पुलिस के अनुसार दोनों बालिकाओं ने अपने बयानों में कहा कि उनसे कोई दुष्कर्म नहीं हुआ। इन दोनों की मेडिकल जांच में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। मुख्य विपक्ष दल भाजपा इस घटना व कुछ अन्य घटनाओं को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साध रहा और सवाल उठा रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी बारां क्यों नहीं आते। आयोग की दोनों सदस्य शनिवार को जयपुर में थीं जहां उन्होंने राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध संबंधी मामलों को लेकर पुलिस महानिदेशक व अन्य अधिकारियों से चर्चा की। देसाई ने आरोप लगाया कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन सरकार गंभीर नहीं है।
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