तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से भारत में नहीं आएगी प्याज, किसानों की ऐसे होगी बल्ले-बल्ले

तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से भारत में नहीं आएगी प्याज, किसानों की ऐसे होगी बल्ले-बल्ले
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इस बार अफगानिस्तान की प्यान देश में आना मुश्किल लग रहा है। ऐसे में किसानों को वहां की प्याज ना आने से हजारों करोड़ रुपये का फायदा हो सकता है। बता दें कि देश भर में प्याज की पैदावार सबसे अधिक राजस्थान के अलवर जिले में होती है। ऐसी स्थिति को देखते हुए अलवर जिले में किसानों ने प्याज की खेती में 260 करोड़ रुपये लगा दिए हैं।

जयपुर। अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) के कब्जे की खबरें तो आजकल चर्चा में चल रही हैं। एक तरफ जहां तालिबानी कब्जे के बाद दुनियाभर से हर चीज को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं वहीं दूसरी तरफ भारत में प्याज (Onion) के मार्किट में किसानों की बल्ले-बल्ले होने वाली है। दरअसल, इस बार अफगानिस्तान की प्याज का देश में आना मुश्किल लग रहा है। ऐसे में किसानों को वहां की प्याज ना आने से हजारों करोड़ रुपये का फायदा हो सकता है। बता दें कि देश भर में प्याज की पैदावार सबसे अधिक राजस्थान के अलवर जिले में होती है। ऐसी स्थिति को देखते हुए अलवर जिले में किसानों ने प्याज की खेती में 260 करोड़ रुपये लगा दिए हैं। अलवर में किसानों ने करीब 40 हजार बीघा में प्याज की खेती लगा दी है। जैसा किसान सोच रहे हैं अगर वैसा ही हुआ तो उन्हें इस प्याज के अच्छे भाव मिलने के साथ ही 600 करोड़ रुपये कमाने का अवसर प्राप्त हो सकता है।

इन राज्यों में उगाई जाती है सबसे अधिक प्याज

बता दें कि देश भर में कर्नाटक (Karnataka), राजस्थान (Rajasthan), आंध्रप्रदेश (Andhra Pradesh), महाराष्ट्र (Maharashtra) और मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में सबसे अधिक प्याज की खेती की जाती है। अगर अफगानिस्तान से प्याज नहीं आती है तो इन राज्यों के किसानों को करोड़ रुपये का फायदा हो सकता है। पिछली बार कर्नाटक में प्याज खराब होने से भाव ज्यादा बताए गए थे। इस बार अफगानिस्तान से प्याज नहीं पहुंचने की उम्मीद में ज्यादा भाव का अनुमान लगाया जा रहा है। अन्य राज्यों में प्याज के खराब होने की खबर कम है। भाव बहुत अधिक रहने की संभावना कम हैं।

2019 आई थी अफगानिस्तान से प्याज

पिछली बार वर्ष 2019 में अफगानिस्तान से दो हजार टन प्याज का आयात किया गया था। उस समय भारत में प्याज के भाव 100 रुपये किलो से अधिक हो गए थे। वहां से प्याज की आयात के बाद देश में प्याज के भाव 50 से 55 रुपए किलो आ गए थे। उस समय केंद्र सरकार बढ़ती महंगाई को देखते हुए यह बड़ा कदम उठाया था। हालांकि अब तालिबान के कब्जे के बाद प्याज की आयात का विकल्प आसान नहीं होता दिख रहा है।

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