राजस्थान हाईकोर्ट ने गैंगस्टर राजू ठेहट को दी 20 दिन की पैरोल

जयपुर। बहुचर्चित गैंगस्टर राजू ठेहट को सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने रेगुलर पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए। राज्य सरकार ने गैंगस्टर ठेहट को पैरोल देने की अनुशंसा करने से ये कहते हुए इंकार कर दिया था कि ठेहट के जले से बाहर आने से गैंगवार की प्रबल संभावना है। वहीं सीकर पुलिस अधीक्षक की ओर से भेज गई रिपोर्ट में भी ये प्रबल संभावना जताई गई है कि राजू ठेहट को पैरोल पर रिहा करने से उसके दूश्मन आपसी रंजिश के चलते बड़े अपराध को अंजाम दे सकते हैं।
राजू ठेहट की ओर से 7 साल से अधिक समय जेल में बिताए जाने और जेल नियमों के अनुसार 20 दिन की रेगुलर पैरोल का अधिकार होना बताते हुए पैरोल की गुहार लगाई थी। हाईकोर्ट जस्टिस सबीना और जस्टिस सी के सोनगरा की खण्डपीठ ने गैंगस्टर के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए 20 दिन की रेगुलर पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। राजू ठेहट के भाई हरलाल की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में दायर कि गई याचिका में बताया गया कि उसके भाई ने 7 साल से ज्यादा समय जेल में बिताया है। वहीं जेल नियमों के अनुसार राजू ठेहट ने नियमों का पालन किया है और जेल में उसका व्यवहार संतोषप्रद रहा है।
-ऐसा रहा राजू ठेहट का इतिहास
1997 में बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे। दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे। 2005 में हुई एक हत्या ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी। शराब ठेके पर बैठने वाले सेल्समैन विजयपाल की राजू ठेहट से किसी बात पर कहासुनी हो गई। पुलिस फाइल्स के मुताबिक-विवाद इतना बढ़ा कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी। विजयपाल रिश्ते में बलबीर का साला लगता था। विजय की हत्या से दोनों दोस्तों में दुश्मनी शुरू हो गई। बलबीर ने राजू के गैंग से निकलकर अपना गिरोह बना लिया।
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