बाड़मेर में दो परिवारों को मृत्युभोज का विरोध करना पड़ा महंगा, जातीय पंचों ने समाज से बहिष्कार करते हुए हुक्का-पानी किया बंद

बाड़मेर में दो परिवारों को मृत्युभोज का विरोध करना पड़ा महंगा, जातीय पंचों ने समाज से बहिष्कार करते हुए हुक्का-पानी किया बंद
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दो परिवारों को सामाजिक बुराई मृत्युभोज (Death row) का विरोध करना इतना महंगा पड़ा कि उनका समाज से बहिष्कार ही कर दिया गया। गांव के पंचों द्वारा यह फरमान इन दो परिवारवालों के लिए जारी किया गया।

बाड़मेर। राजस्थान में बाड़मेर (Barmer) जिले के रागेश्वरी थाना इलाके में एक बहुत ही शर्मनाक घटना की खबर सामने आई है। इस इलाके में रहने वाले दो परिवारों को सामाजिक बुराई मृत्युभोज (Death row) का विरोध करना इतना महंगा पड़ा कि उनका समाज से बहिष्कार ही कर दिया गया। गांव के पंचों द्वारा यह फरमान इन दो परिवारवालों के लिए जारी किया गया। 17 गांव के जातीय पंचों ने इन दो परिवारों को समाज से बहिष्कृत (Boycotted from society) करते हुए उनका हुक्का-पानी बंद करने का फरमान जारी कर दिया है। जातीय पंचों के इस तुगलकी फरमान से प्रताड़ित हो रहे पीड़ित परिवारों ने समाज के 63 जातीय पंचों के खिलाफ रागेश्वरी पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया है।

पंचों के खिलाफ केस दर्ज

पुलिस के अनुसार मालियों की ढाणी निवासी देवाराम मेघवाल और मिश्राराम ने इस संबंध में मामला दर्ज कराया है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि नगर गांव में उनके पड़ोस में समाज की एक महिला की मौत हो गई थी। उसके बाद उसके परिवार वालों ने समाज के पंचों के दबाव के कारण मृत्युभोज का आयोजन किया था। इस पर उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई। इस पर समाज के पंचों ने एक राय होकर पंचायती कर उनके परिवारों को समाज से बहिष्कृत कर दिया।

क्या है पूरा मामला?

मृत्यु भोज के मौके पर 17 गांव के पंच आमंत्रित किए गए थे। उन्होंने लिखित फरमान जारी करते हुये समाज को गुमराह कर बिरादरी से उनको बहिष्कृत कर दिया। उनके परिवारों का हुक्का पानी बंद कर दिया है। ऐसे में उनके परिवार जातीय पंचों के दबाव के कारण हीनभावना से ग्रसित हो रहे हैं। जातीय पंचों ने लिखित फरमान जारी कर कहा है कि जब तक वे पांच लाख रुपये का अर्थ दंड नहीं भरेंगे तब तक समाज में कोई इन परिवार से बात नहीं करेगा। परिवार के लोगों को समाज के मंदिरों और सामाजिक कार्यक्रमों में आने जाने पर रोक लगा दी गई है।

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