कैदी को सुरक्षा देना राज्य की जिम्मेदारी, इसके लिए रुपये नहीं ले सकते: राजस्थान हाईकोर्ट

जोधपुर। कैदी या आपराधिक मामले में सुनवाई का सामना कर रहे विचाराधीन कैदी को सुरक्षा मुहैया कराने को राज्य की जिम्मेदारी बताते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य को निर्देश दिया कि वह 2011 के सनसनीखेज भंवरी देवी अपहरण और हत्या मामले में आरोपी के बेटे को 70,497 रुपये वापस करे। याचिकाकर्ता अमरचंद की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति दिनेश मेहता ने राज्य को निर्देश दिया कि आठ हफ्तों के अंदर यह रकम लौटाई जाए और कहा कि राज्य, सुरक्षा या पुलिस सहायता के लिये ली गई गई रकम को न्यायोचित नहीं ठहरा सकता।
याचिकाकर्ता के वकील यशपाल खिलेरी ने कहा कि अमरचंद को अक्टूबर पांच 2019 से अक्टूबर सात 2019 तक अंतरिम जमानत दी गई थी और उसे जमानत अवधि के दौरान पुलिस सहायता/अभिरक्षा मुहैया कराए जाने के बदले 70,497 रुपये जमा कराने को कहा गया। खिलेरी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता या उसके परिजन पुलिस अधीक्षक द्वारा मांगी गई यह रकम अदा करने की स्थिति में नहीं थे और कहा कि याचिकाकर्ता सिर्फ दो दिन की जमानत प्राप्त कर सका क्योंकि उन्हें फैसला लेने और रुपये जमा कराने में वक्त लग गया।
वहीं प्रतिवादी के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता का बेटा सरकारी नौकरी में था और उन्होंने सुरक्षा प्राप्त करने के लिये रकम लिये जाने को सही ठहराया। अदालत ने उनकी दलील खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को रुपये वापस करने का निर्देश दिया और कहा कि याचिकाकर्ता को उसके द्वारा दिये गए निर्देश पर पुलिस सहायता उपलब्ध कराने को कहा गया था।
जस्टिस दिनेश मेहता ने याची का प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए यह निर्धारित किया कि जमानत स्वीकारने के समय पुलिस अभिरक्षा की राशि जब तक कोर्ट वसूल करने के आदेश नहीं दे, राज्य सरकार पुलिस अभिरक्षा की राशि मुलजिम या उसके परिवार जन से वसूल नहीं कर सकती। साथ ही, पूर्व में अंतरिम जमानत के दौरान पुलिस अधीक्षक जोधपुर द्वारा याची के पुत्र साहिल से वसूले गए रुपये 70,497 रुपये आठ सप्ताह के भीतर वापस लौटाने के आदेश दिए हैं।
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