राजस्थान एंबुलेंस यूनियन के कर्मचारी हड़ताल पर बैठे, सेवाएं की ठप, मरीज हुए परेशान

जयपुर। राजस्थान में एक बार फिर से एंबुलेंस कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू कर दी है। यह हड़ताल ऐसे समय में हुई है जब पूरे राज्य कोरोना वायरस महामारी के दौर से गुजर रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि हमें जरूरी सुविधाएं तक सरकार मुहैया नहीं करवा रही है इसलिए हमने हड़ताल पर बैठने का फैसला किया है। उन्होंने चेतावनी भी दी है कि जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जातीं तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी और राज्य में एंबुलेंस सुविधा बंद रहेगी।
बुधवार सुबह 6 बजे से सभी 108 एंबुलेंसों को कर्मचारियों ने खड़ा कर दिया है और कर्मचारी खुद सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसका बड़ा असर कोरोना के गंभीर मरीजों पर पड़ना तय है। खासकर गरीब मरीजों पर जो इलाज के लिए अस्पताल तक जाने के लिए इन एंबुलेंस पर ही निर्भर हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाएं इन दिनों वैसे भी गड़बड़ा चुकी हैं, उन पर भी यह हड़ताल असल डालेगी। राजस्थान एबुलेंस कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि सरकार से बात करने पर हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया जाता है और मांगों का समाधान नहीं होता है। इस बात से प्रदेश के सभी एंबुलेंस कर्मचारी नाराज हैं और अब निश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इन एंबुलेंस कर्मचारियों का ठेका दो दिन में समाप्त होने वाला है। एंबुलेंस कर्मचारी चाहते हैं कि नया ठेका नई शर्तों के साथ हो।
क्यों लिया हड़ताल पर जाने का फैसला
वीरेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि एंबुलेंस वाहनों में समय पर डीजल नहीं डलवाना, मरम्मत कार्य समय पर नहीं करवाना, एंबुलेस वाहनों में कोरोना से सुरक्षा के लिए मास्क ग्लव्स, सेनेटाइजर इत्यादि उपलब्ध नहीं करवाना, एंबुलेंस कर्मचारियों को बिना कारण कंपनी के अधिकारीयों की ओर से परेशान करना, खटारा एंबुलेंस वाहनों को जबदस्ती चलवाना व उनका डीजल एवरेज के लिए परेशान किया जाता है तथा वेतन वृद्धि रोकने से एंबुलेंस कर्मचारी नाराज हैं। शेखावत ने कहा कि यूनियन की मांगों पर एक साल से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। इसलिए मजबूरन हड़ताल जैसा कदम उठाया जा रहा है।
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