पायलट खेमे के विधायक हेमाराम चौधरी ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा भेजा, राज्य में सियासी हलचल हुई तेज

जयपुर। राजस्थान में एक बार फिर से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पायलट खेमे के कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी (Hemaram Chaudhary) ने विधानसभा सदस्य पद से अपना इस्तीफा ईमेल के जरिए मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष को भेजा जिसकी विधानसभा सचिवालय ने पुष्टि की है। वहीं कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) ने इसे पार्टी का अंदरुनी मामला बताते हुए शीघ्र सुलझा लेने की बात कही है। हेमाराम चौधरी के इस्तीफे को सचिन पायलट खेमे के अंदर भभक रहे लावे की चिंगारी के रूप में देखा जा रहा है जो आने वाले दिनों में फिर से सियासी संकट की वजह बन सकता है।
डोटासरा बोले- मामले को जल्द सुलझा लेंगे
चौधरी बाड़मेर की गुढ़ामलानी विधानसभा सीट से छठी बार निर्वाचित हुए विधायक हैं। विधायक कार्यालय के अनुसार, 'चौधरी ने विधानसभा सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका त्यागपत्र आज विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया गया।' राजस्थान विधानसभा सचिवालय के प्रवक्ता ने चौधरी का इस्तीफा ईमेल से मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि उसपर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। वहीं, डोटासरा ने कहा कि इस मामले को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। डोटासरा ने ट्वीट किया कि हेमाराम हमारी पार्टी के वरिष्ठ और सम्मानीय नेता हैं। उनके विधायक पद से इस्तीफे की जानकारी के बाद मेरी उनसे बात हुई है। यह पारिवारिक मामला है, जल्द ही मिल बैठकर सुलझा लिया जाएगा।
राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के हैं 106 विधायक
राज्य की 200 सीटों वाली राज्य विधानसभा में चौधरी सहित कांग्रेस के 106 विधायक हैं। चौधरी सचिन पायलट खेमे के विधायक हैं और पिछले साल पायलट ने जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावती तेवर उठाए थे तो उनके साथ गए 18 विधायकों में हेमाराम चौधरी भी शामिल थे। इस साल मार्च में जब राज्य विधानसभा में सड़क व पुल की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा के दौरान हुई चर्चा में कांग्रेस विधायक ब्रजेन्द्र ओला और हेमाराम चौधरी ने राज्य सरकार निशाना साधते हुए सरकार पर सड़क निर्माण को लेकर उनके क्षेत्र के साथ भेदभाव का आरोप लगाया था। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने चौधरी को मन से बोलने वाला व्यक्ति बताते हुए कहा कि उनका इस्तीफा हम सभी के लिए विचारणीय विषय है। कटारिया ने कहा कि चौधरी मन की पीड़ा सदन के पटल पर रखते रहे हैं। राजस्थान में विरले ही ऐसे मामले हुए हैं जब किसी विधायक ने अपने इलाके की जनता की समस्याओं का समाधान नहीं होने पर सदस्यता से इस्तीफा दिया हो। उनका त्यागपत्र देना हम सभी के लिए विचार योग्य विषय है जिस पर हम सभी को सोचना चाहिए।
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