Rajasthan सरकार ने 25 करोड़ में तैयार कराए 90 लाख कैलेंडर, अब CM अशोक गहलोत पर लगा यह बड़ा आरोप

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चलने वाले वाकयुद्ध से इतर एक नया विवाद राज्य सरकार से जुड़ गया है। दरअसल, राज्य सरकार ने इस बार नए साल पर 25 करोड़ रुपये में 90 लाख कैलेंडर बनवाए थे, लेकिन अब इसके वितरण को लेकर सीएम अशोक गहलोत निशाने पर आ गए हैं। विरोधियों का कहना है कि गहलोत सरकार को इन कैलेंडरों के वितरण की सूचना सार्वजनिक करनी चाहिए।
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार है और सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान विकास के मार्ग की तलाश कर रहा है। इस साल के दिसंबर महीने में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होंगे। इसको लेकर तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं। कांग्रेस सरकार एक बार फिर से सत्ता में लौटने के लिए जद्दोजहद कर रही है। वहीं, विपक्ष इस बार राजस्थान की कुर्सी अपने नाम करने की तैयारी कर रहा है। इस क्रम में गहलोत सरकार ने एक नया चुनावी दांव खेलते हुए नए साल के मौके पर स्कूली बच्चों को कैलेंडर वितरण करने की घोषणा की थी।
बता दें कि राजस्थान में कुल 47 हजार 539 प्राइमरी लेवल के स्कूल हैं, जिनमें 32 लाख 11 हजार 798 बच्चे बढ़ते हैं। वहीं 17 हजार 367 स्कूल सेकेंडरी लेवल के हैं, जिनमें 58 लाख 40 हजार 606 बच्चे बढ़ते हैं। सरकार के घोषणा के तहत इन तमाम सरकारी स्कूलों के 90 लाख छात्रों को फ्री में सरकारी कैलेंडर बांटने की बात की गई थी। इसके लिए 25 करोड़ रुपए जारी करने की बात की गई थी। इस कैलेंडर की सबसे खास बात यह है कि इसमें कांग्रेस सरकार की 12 जन कल्याण की योजनाओं के बारे में होने की बात कही गई थी। स्कूलों में कैलेंडर बांटने की जिम्मेदारी राजस्थान सरकार के सूचना व जनसम्पर्क विभाग को दी गई थी। लेकिन 90 लाख छात्रों को दी जाने वाली कैलेंडर कहां गया यह किसी को पता नहीं। यह कैलेंडर किसे बांटा गया या फिर नहीं बांटा गया इसकी कोई सूचना नहीं है।
राजस्थान की जनता सरकार के इस खोखले घोषणा को चारा घोटाला बता रही है। राजस्थान की जनता बच्चों को कैलेंडर नहीं मिलने का आरोप लगा रही है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा 25 करोड़ रुपए का गबन किया गया है। वहीं, अन्य लोग यह आरोप लगाते भी नजर आ रहे हैं कि सरकार कैलेंडर बनाने में 25 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। लेकिन, प्रदेश में बेरोजगारी और गरीबी की समस्या पर कुछ नहीं कर रही है। सरकार इस पैसे को राजस्थान के विकास कार्य में इस्तेमाल कर सकती थी। इसका सीधा असर आगामी विधानसभा चुनाव में देखा जा सकता है।
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