लक्ष्मी विलास पैलेस मामला: राजस्थान हाईकोर्ट ने अरुण शौरी को दी थोड़ी राहत, गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाई

जोधपुर। लक्ष्मी विलास पैलेस मामले में केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी को कोर्ट ने थोड़ी राहत प्रदान की है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने उदयपुर में एक होटल की बिक्री से सरकारी खजाने को कथित तौर पर 244 करोड़ रुपये के नुकसान संबंधी मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर बुधवार को रोक लगा दी। अदालत ने शौरी को मामले में सुनवाई की अगली तारीख 15 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर निजी मुचलका और जमानत राशि अदा करने को कहा। यह मामला सार्वजनिक क्षेत्र के भारत पर्यटन विकास निगम के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को दो दशक पहले एक निजी कंपनी को बेचने से संबंधित है। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के दौरान शौरी के विनिवेश मंत्री रहते हुए यह संपत्ति भारत होटल्स लिमिटेड को 7.52 करोड़ रुपयों में बेची गई थी। सीबीआई द्वारा की गई शुरुआती जांच में संपत्ति की कीमत करीब 252 करोड़ रुपये आंकी गई थी और सरकारी खजाने को 244 करोड़ रुपये के नुकसान के संकेत दिये गए थे। उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व विनिवेश सचिव प्रदीप बैजल और दो अन्य- लजार्ड इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आशीष गुहा और भारत होल्टस लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी- की गिरफ्तारी पर भी रोक लगा दी थी। इस मामले में पांचवें आरोपी कांतिलाल कर्मसे हैं जिनकी कंपनी होटल के मूल्यांकन में शामिल थी।
कहा- सीबीआई कोर्ट आदेश देने में सही नहीं थी
शौरी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप शाह और प्रशांत भूषण ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये कहा कि न ही ऐसी स्थिति है और न ही जरूरत की आरोपियों को गिरफ्तारी वारंट के जरिये तलब किया जाए और सीबीआई अदालत यह आदेश देने में सही नहीं थी। वकीलों की दलील को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति दिनेश मेहता ने शौरी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में तब्दील कर दिया और उनसे 15 अक्टूबर को अदालत में पेश होकर निजी मुचलका और जमानत राशि भरने को कहा।
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