Rajasthan Mausam ki Jankari : राजस्थान में मानसून के फिर सक्रिय होने से खड़ी हो सकती हैं कई समस्याएं, जानें कब से शुरू होगा बारिश का दौर

Rajasthan Mausam ki Jankari : राजस्थान में मानसून के फिर सक्रिय होने से खड़ी हो सकती हैं कई समस्याएं, जानें कब से शुरू होगा बारिश का दौर
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फिलहाल राज्य में मानसून की गतिविधियां धीमी पड़ते ही गर्मी का दौर जारी है। मगर अगले हफ्ते से एक बार फिर से मानसून की गतिविधियां तेज होने वाली हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अब होने वाली बारिश के कारण प्रशासन के सामने कई तरह की समस्याएं खड़ी होने वाली हैं।

जयपुर। राजस्थान में इस बार मानसून की गतिविधियां तेज होते ही (Heavy Rain) भारी बारिश ने राज्य भर में जो तबाही मचाई थी उससे तो आप वाकिफ ही होंगे। यहां कई इलाकों में बाढ़ के साथ कई घटनाएं भी सामने आई जिसके कारण कई लोगों की जान भी चली गई। फिलहाल राज्य में मानसून की गतिविधियां धीमी पड़ते ही गर्मी का दौर जारी है। मगर अगले हफ्ते से एक बार फिर से मानसून की गतिविधियां तेज होने वाली हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अब होने वाली बारिश के कारण प्रशासन के सामने कई तरह की समस्याएं खड़ी होने वाली हैं। इस बार भी संभावना जताई जा रही है कि पूर्वी राजस्थान पर ही बारिश की मेहर रहेगी। यदि ऐसा होता है तो प्रशासन के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है। पहले दौर की बारिश में बने बाढ़ के हालात को देखते हुए प्रशासन को अभी से रणनीति बनानी होगी और उन स्थानों पर विशेष ध्यान दिया जाए, जहां अतिवृष्टि के बाद अब तक लोग परेशान हो रहे हैं।

20 अगस्त तक फिर सक्रिय होगा मानसून

Weather Department का कहना है कि 17 व 18 अगस्त को बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनेगा और 20 अगस्त तक राजस्थान में मानसून (Rajasthan Monsoon) फिर सक्रिय होने से भारी बारिश की संभावना है। मौसम विभाग की इस चेतावनी के बाद संबंधित सभी विभागों को सावचेत हो जाना चाहिए। पहले दौर में हाड़ौती, सवाई माधोपुर, भरतपुर, दौसा, टोंक सहित आसपास के इलाकों पर असर ज्यादा दिखाई दिया था। 20 अगस्त के बाद फिर से इन्हीं स्थानों पर बारिश का जोर रहा तो निश्चित तौर पर परेशानी खड़ी हो सकती है। बड़ा कारण यह है कि इन क्षेत्रों में मानसून के पहले दौर की बारिश में बांध, नदी-नाले भर चुके हैं और अब भारी बारिश होगी तो पानी निकासी बड़ी समस्या बन जाएगी। पहले दौर में ही एनडीआरएफ (NDRF), एसडीआरएफ (SDRF) और स्थानीय प्रशासन को मशक्कत करनी पड़ी थी। हजारों बीघा में फंसले चौपट हो चुकी हैं।

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