राजस्थान में सट्टेबाजों की खैर नहीं, गहलोत सरकार ने माना संज्ञेय अपराध, अब जुआ खेलने पर मिलेगी ये सजा

राजस्थान में सट्टेबाजों की खैर नहीं, गहलोत सरकार ने माना संज्ञेय अपराध, अब जुआ खेलने पर मिलेगी ये सजा
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राजस्थान में ऑनलाइन जुआबाजी को पहली बार संज्ञेय अपराध माना गया है। गृह विभाग के विधेयक को कैबिनेट ने सरकुलेशन के माध्यम से मंजूरी दे दी है।

जयपुर। राजस्थान में अब जुआ खेलना और ऑनलाइन सट्टेबाजी करना भारी पड़ सकता है। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने सटोरियों पर लगाम कसने की तैयारी कर ली है। सरकार ने जुआ और ऑनलाइन सट्टेबाजी को सामाजिक बुराई मानते हुए राजस्थान पब्लिक गैंबलिंग ऑर्डिनेंस-1949 के स्थान पर नया विधेयक ला रही है। राजस्थान पब्लिक गैंबलिंग (प्रिवेंशन) विधेयक- 2021 (Rajasthan Public Gambling (Prevention) Bill- 2021) में ऑनलाइन जुआबाजी और सट्टे को रोकने के कठोर प्रावधान किए गए हैं। राज्य में ऑनलाइन जुआबाजी को पहली बार संज्ञेय अपराध माना गया है। गृह विभाग के विधेयक को कैबिनेट ने सरकुलेशन के माध्यम से मंजूरी दे दी है।

जल्द पेश हो सकता है विधेयक

सरकार मौजूदा विधानसभा सत्र में विधेयक को पेश कर सकती है। विधेयक में जुआबाजी रोकने के लिए अलग-अलग धाराओं में सजा की अवधि एवं आर्थिक दंड में बढ़ोतरी के प्रावधान में किए गए हैं। नया विधेयक राजस्थान पब्लिक गेम गैंबलिंग ऑर्डिनेंस-1949 का स्थान लेगा। संज्ञेय अपराध सामान्यतः गंभीर होते हैं। इनमें पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी होती है।

राजस्थान में जुआ-सट्टा खेलना बहुत आम

राजस्थान में जुआ-सट्टा खेलना आम बात है। पुलिस इनके खिलाफ लगातार कार्रवाई भी करती है। वहीं, पुलिस पर कई बार जुआरियों और सटोरियों के साथ मिलीभगत के आरोप भी लगते रहे हैं। उदयपुर में तो इस मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई भी हो चुकी है। बता दें कि राज्य में ऑनलाइन जुआबाजी को पहली बार संज्ञेय अपराध माना गया है। गृह विभाग के विधेयक को कैबिनेट ने सरकुलेशन के माध्यम से मंजूरी दे दी है।

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