सरकारी कर्मचारियों की वेतन कटौती का एक और मामला राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचा, कोर्ट ने पांच नवम्बर तक मांगा जवाब

जोधपुर। राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों की वेतन कटौती का मामला सुर्खियों में रहता है। यहां हाल ही में कर्मचारियों के वेतन कटौती ने तूल पकड़ा था। एक बार फिर से इस मामले को लेकर राज्य में मांग उठ रही है। वहीं यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से 5 नवम्बर तक जवाब मांगा है। साथ ही कटौती पर विवाद को देखते हुए आदेश दिया है कि अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासभा के सदस्यों के वेतन से काटी गई या आगे काटी जाने वाली राशि को अलग खाते में जमा किया जाए। न्यायाधीश दिनेश मेहता ने अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासभा की याचिका पर यह आदेश दिया है। महासभा की ओर से अधिवक्ता कुलदीप माथुर ने कहा कि राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन से कटौती का आदेश दिया है, जिसमें महासभा के सदस्य भी शामिल हैं। सरकार को कर्मचारी के वेतन के किसी भाग में कटौती करने का अधिकार नहीं है क्योंकि राज्य में कोई वित्तीय आपातकाल नहीं है। सेवा नियमों में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और न ही महामारी रोग अधिनियम-1897 सरकार को ऐसा कदम उठाने का अधिकार देता है। कोर्ट ने इस याचिका पर सरकार के जवाब के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह को नोटिस स्वीकार करने के निर्देश दिए।
कोर्ट ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंस से सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की स्पष्ट आवाज सुनाई नहीं दी। इस कारण गलतफहमी के चलते स्थगन आदेश पारित हो गया। कोर्ट ने स्थगन आदेश वापस लेते हुए सुनवाई 3 नवंबर तक टाल दी। इससे पहले वेतन कटौती पर रोक के आदेश को शुक्रवार को हाईकोर्ट ने वापस ले लिया। कोर्ट ने गुरुवार को राजस्थान राजपत्रित अधिकारी संघ (विद्यालय शिक्षा) की याचिका पर संघ के सदस्यों की कोविड-19 के कारण हो रही वेतन कटौती पर रोक लगा दी थी।
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