Rajasthan: कोटा में एक और छात्र ने की आत्महत्या, इस साल 27 बच्चों ने किया सुसाइड, जानिए इसके पीछे की वजह

Rajasthan: कोटा में एक और छात्र ने की आत्महत्या, इस साल 27 बच्चों ने किया सुसाइड, जानिए इसके पीछे की वजह
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Kota Suicide Case: राजस्थान के कोटा में हर साल हजारों बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए आते हैं। हालांकि, वहां पर सुसाइड के मामलों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। कोटा में एक और छात्र ने आत्महत्या कर ली है। पढ़ियें सुसाइड के पीछे की बड़ी वजह...

Kota Suicide Case: राजस्थान के कोटा की पहचान शिक्षा नगरी या कोचिंग के शहर के तौर पर है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में यहां लगातार छात्रों की मौत की खबरों ने सबका ध्यान कोटा की तरफ खींचा है। ज्यादातर मामले छात्रों के द्वारा सुसाइड करने के हैं। कोटा शहर के कुन्हाड़ी थाना इलाके में एक छात्र ने सुसाइड कर लिया है। यह छात्र बीते 1 साल से कोटा में रहकर सेल्फ स्टडी कर रहा था। यह छात्र उत्तर प्रदेश के महाराजगंज का निवासी था। इस साल कोटा में यह सुसाइड का यह 27वां मामला है।

पुलिस ने घटना पर दी जानकारी

राजस्थान पुलिस के सीआई मीणा ने बताया कि घटना मृतक की पहचान तनवीर खान के रूप में हुई है। वह 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद नीट (NEET) की तैयारी कर रहा था। वह अपने पिता और बहन के साथ रहकर सेल्फ स्टडी कर रहा था। इसके बाद उसने आज सुबह सुसाइड कर लिया। तनवीर खान के शव को अस्पताल में ले जाया गया था। इसके बाद डॉक्टरों ने शव को परिजनों को सौंप दिया। उसके परिजन बॉडी को लेकर महाराजगंज के लिए रवाना भी हो गए हैं।

कोटा में छात्र क्यों कर रहे सुसाइड

राजस्थान के कोटा में हर साल हज़ारों बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की कोचिंग के लिए आते रहे हैं। जिन छात्रों ने आत्महत्या की है, उनमें से अधिकतर गरीब या निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते हैं। कोटा में कोचिंग का कारोबार भी काफ़ी बड़ा है। यहां से पढ़ने और प्रवेश परीक्षा पास करने वाले छात्रों की तस्वीरें विज्ञापनों में नज़र आती रही हैं। मगर जो छात्र सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं या प्रतियोगिता व उम्मीदों का दबाव किन्हीं कारणों से सह नहीं पाते हैं, उनकी चुनौतियां ज़्यादा बड़ी हो जाती हैं और वह निराशा से भर जात हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय कोटा में करीब सवा दो लाख छात्र नीट या जेईई की तैयारी कर रहे हैं। ये छात्र 4 हजार हॉस्टल या फिर पांच हजाप रजिस्टर्ड पीजी में रहते हैं।

इस साल अब तक तकरीबन 27 छात्रों ने आत्महत्या की है। इससे पहले साल 2015 में ऐसे कई मामले देखने को मिले थे। गहलोत सरकार ने कोचिंग संस्थानों और संबंधित अधिकारियों के साथ भी हाल ही में बैठक थी। साथ ही, उन्होंने इस मुद्दे को लेकर एक कमेटी का भी गठन किया था, जो अपनी रिपोर्ट 15 दिन के अंदर सौंपेंगी।

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