कोरोना काल में विद्यार्थियों का परीक्षा से पहले होगा बीमा! पत्र लिखकर की गई मांग

जयपुर। कोरोना महामारी के चलते जहां पूरा देश बेहाल है वहीं छात्रों का भी मानसिक तौर पर बुरा हाल है। एक और जहां यूजीसी ने यूजी और पीजी में फाइनल ईयर की परीक्षा करवाने के निर्देश कॉलोजों को दिए हैं, वहीं इसी को लेकर नए नए मत सामने आ रहे हैं। कोई इसके समर्थन में है तो कोई इसका विरोध करते नहीं थक रहा। यूजीसी के इस निर्देश का एनएसयूआई ने विरोध किया है, उनका मानना है कि इस समय छात्रों को ऐसे साथ में एग्जाम देना खतरे से खाली नहीं है वहीं एबीवीपी ने इसका समर्थन किया है।
बहरहाल इसी बीच थिंक इंडिया के पूर्व प्रदेश संयोजक शिवम विजयवर्गीय ने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल को देश की परिस्थितियों को देखते हुए परीक्षाओं को ऑनलाइन माध्यम से आयोजित करवाने और राज्य सरकारों को प्रदेशों की स्थिति के अनुसार छूट देने के क्रम में पत्र लिखा है। विजयवर्गीय ने विद्यार्थियों को दोहरी मार से बचाने के लिए पत्र लिखते हुए बताया की परीक्षाएं विद्यार्थियों के कैरियर को देखते हुए तत्काल ऑनलाइन माध्यम से आयोजित करवाई जाएं। जिन विद्यार्थियों के पास ऑनलाइन परीक्षाओं के साधन नहीं है, ऐसे विद्यार्थियों को चिन्हित कर उन्हीं के शहर में परीक्षाएं करवाई जाएं।
विजयवर्गीय ने पत्र में यह भी लिखा परीक्षा अगर ऑफलाइन मोड पर कराई गई तो हजारों विद्यार्थियों के संक्रमित होने की संभावना जाहिर है, ऐसे में परीक्षा में बैठने वाले प्रत्येक विद्यार्थी का बीमा सरकार की ओर से कराया जाए। अन्य कई सुझाव भी दिए हैं।
विद्यार्थी के जीवन संबंधित किसी भी प्रकार की हानि हुई तो उसकी जिम्मेदारी महाविद्यालय ,विश्वविद्यालय या सरकार किसकी होगी यह भी परीक्षाओं की समय सारिणी घोषित करने से पहले स्पष्ट करें। गाइडलाइन में किया जाए सुधार पिछले दिनों आई यूजीसी की गाइडलाइंस में सुधार करते हुए परीक्षा तत्काल ऑनलाइन माध्यम से कराने की मांग की गई है। विजयवर्गीय ने यह भी बताया कि कई विद्यार्थी ऐसे भी है जिन्होंने शिक्षा लोन लिया हुआ है, शिक्षा समय पूरा होने को आया है, लेकिन अब तक रोज़गार को कुछ पता नहीं। विद्यार्थी इसे कैसे चुकाएगा। ऐसे में महामारी के समय वैसे ही अन्तिम वर्ष का विद्यार्थी अवसाद के दौर से गुज़र रहा है ओर यहाँ यूजीसी की गाइडलाइन मे परीक्षाओ मे उलझाया हुआ है। विजयवर्गीय ने कहा अगर एमएचआरडी जल्द ही यूजीसी की गाइडलाइन मे सुधार नही करती है तो विद्यार्थी लगातार ट्विटर ट्रेंड करने के लिए तैयार है।
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