Sunday Special : कोरोना की वजह से 2020 में नहीं बल्कि 1920 में सबसे पहले यहां लगा था एक महीने का लॉकडाउन, यहां से हुई वैक्सीन की शुरुआत

जोधपुर। पिछले साल से दुनिया भर में कोरोना वायरस का आतंक फैला हुआ है। हालांकि दुनियाभर में इसका प्रकोप कम तो हुआ है मगर भारत में इस घातक बीमारी ने अभी भी आतंक मचाया हुआ है। पिछला साल 2020 तो लगभग पूरा ही लॉकडाउन में निकल गया। अभी भी कई राज्यों में इस बीमारी पर नियंत्रण करने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की जा चुकी है। ये तो हुई अभी हाल ही की बात। पर क्या आप जानते हैं हमारे देश में सबसे पहले लॉकडाउन कब लगाया गया था। देश में सबसे पहले और कहीं नहीं बल्कि आज से 100 साल से भी पहले सन 1920 में एक घातक बीमारी फैली थी जिसकी वजह से पूरे एक महीने का लॉकडाउन लगाया गया था। मारवाड़ में हैजा, मलेरिया, प्लेग, इनफ्लूएंजा सहित विभिन्न तरह के संक्रमण रोग से आमजन के बचाव के लिए वर्ष 1920 में ही जोधपुर में इण्डियन रेडक्रास सोसाइटी की शाखा स्थापित कर जागरूकता की शुरुआत की गई थी। वर्ष 1918 में 3 अक्टूबर को संक्रमण बीमारी 'इनफ्लूएंजा' (Influenza) से जोधपुर के 21 वर्षीय महाराजा सुमेरसिंह (Maharaja Sumer Singh) का निधन हुआ था।
महामारी में लगातार आमजन की मौतों के बाद जोधपुर में 15 दिन तक लॉकडाउन की स्थिति थी। कचहरी बंद कर दी गई थी। महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केन्द्र, जोधपुर के विभागाध्यक्ष डॉ. महेन्द्र सिंह तंवर बताते हैं कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जोधपुर महाराजा सुमेरसिंह (1911-1918) के राज्यकाल में मार्च 1918 में जब स्पेनिश फ़्लू इन्फ्लूएंजा (Spanish Flu Influenza) संक्रमण फैला तब शहर के दफ्तर (Offices) अदालतें (Courts) सभी बंद कर दिए गए थे। प्रकोप के कारण 15 मार्च से 15 अप्रैल तक सभी दफ्तर अदालतें, बाजार सभी बंद रखे गए थे। उस समय रोजाना 125 लोगों की बीमारी की वजह से मौत हुई थी।
पूरी तरह नि:शुल्क लगाई जाती थी वैक्सीन
महाराजा बने उम्मेदसिंह ने मारवाड़ वैक्सीनेशन एक्ट (Marwar Vaccination Act) पारित कर प्रजा को संक्रमण से फैलने वाले रोग तथा अन्य असाध्य रोगों से बचाने का काम शुरू किया था। वैक्सीनेशन एक्ट के अन्तर्गत जोधपुर सहित मारवाड़ में जगह-जगह टीका लगाने के केन्द्रों की स्थापना की गई। औषधालयों में वैक्सीनेशन (Vaccination) पूरी तरह नि:शुल्क थी लेकिन यदि कोई अपने निवास स्थान पर बुला कर टीका लगवाना चाहता था तो उसका शुल्क प्रति व्यक्ति आठ आने के हिसाब से शुल्क भुगतान करना पड़ता था।
76 साल पहले फैला था हैजा
वर्ष 1945 में जब जोधपुर शहर तथा गांवों में तेजी से हैजा फैला था। उस समय चिकित्सा विभाग (Health Department) की सहायता के लिए मोटर गैरेज विभाग (Motor Garage Department) की सभी गाड़ियां व ट्रक वगैरह चिकित्सा विभाग को सौंप दिए ताकि रोगियों को लाने ले जाने तथा दवाइयां वगैरह दूरस्थ गांवों तक पहुंच सके। प्लेग जैसी बीमारी का पता लगते ही पीड़ित व्यक्ति का उपचार तत्काल प्रारम्भ हो जाता था। उस समय मलेरिया (Malaria) भी एक भयंकर बीमारी थी।
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