फांसी की सजा पाने वाली शबनम की कहानी सामने आई, हत्याकांड के बाद ऐसे किया था पुलिस को गुमराह...

अमरोहा की शबनम ने इस हत्याकांड को 14 अप्रैल 2008 की रात को अंजाम दिया था। उस रोज बारिश हो रही थी। 15 अप्रैल की सुबह पुलिस को सूचना मिली कि एक घर में सात लोगों की हत्या हो गई है। पुलिस जब मौके पर पहुंची तो देखा कि हत्यारों ने बच्चे तक को भी नहीं बख्शा। परिवार के मुखिया शौकत अली, उनकी पत्नी हाशमी, बेटा अनीस, राशिद, बहु अंजुम और दस महीने का पोता अर्श का शव जिस किसी ने देखा, कांप उठा। घर के एक कोने में शबनम दहाड़े मारकर रो रही थी। पुलिस को उसकी हालत देखकर लगा नहीं कि वो अभी कोई बयान दे पाएगी। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया। इस दौरान जब मौका मिला तो शबनम से पूछताछ की गई।
मीडिया रिपोर्ट केे मुताबिक शबनम ने पुलिस को बताया कि वह घटना वाली रात छत पर सो रही थी। कुछ चोर घर की दीवार फांदकर भीतर घुसे। वो डर के मारे कुछ नहीं बोली। जब कुछ देर बाद वह नीचे आई तो देखा कि सभी की हत्या हो चुकी है। पुलिस को उसके बयान से शक तो हुआ, लेकिन उसकी हालत देखकर पुख्ता सबूत मिलने से पहले किसी नतीजे पर पहुंचना मुनासिब नहीं समझा। पुलिस के शक को पहली ठोस जमीन तब मिली, जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि सभी मृतकों को नशे की दवा दी गई थी। इस पर पुलिस समझ गई कि इस हत्याकांड से शबनम जुड़ी है। हालांकि सियासत तेज होने के चलते पुलिस को शबनम के खिलाफ सबूत चाहिए थे।
प्रेमी सलीम भी निकला चालाक
इस दौरान पुलिस ने जब शबनम के प्रेमी सलीम से पूछताछ की तो उसने ऐसे सबूत पेश कर दिए, जिससे लगे कि वारदात वाली रात घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। पुलिस अभी जांच आगे बढ़ा ही रही थी कि इसी दौरान मुखबिर से ऐसी सूचना मिली, जिसने पुलिस को सलीम से सख्ती से पूछताछ करने का आधार दे दिया। पुलिस ने जब सलीम से दोबारा पूछताछ की तो वह टूट गया और कबूल लिया कि हत्याकांड को उन्हीं लोगों ने अंजाम दिया है। सलीम की निशानदेही पर पुलिस ने इस सामूहिक हत्याकांड में इस्तेमाल कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली, जो कि एक तालाब में फेंकी गई थी।
पुलिस 18 अप्रैल को दोबारा शबनम के घर पहुंची और सलीम को सामने लाकर पूछताछ की तो वह टूट गई। शबनम पर उस रात कैसा जुनून सवार हुआ था, इसका अंदाजा यहां से लगाया जा सकता है कि 11 महीने के भतीजे को उसने अकेले ही गला दबाकर मारा था। पुलिस ने इस हत्याकांड को चार दिन में सुलझा लिया था। हालांकि आरोप लगे थे कि राजनीतिक दबाव के चलते जल्दबाजी में गलत लोगों को फंसाया गया है, लेकिन पुलिस ने जब तमाम सबूत अदालत के समक्ष रखे तो सब सही पाए गए। राष्ट्रपति भी शबनम की दया याचिका खारिज कर चुके हैं। हालांकि शबनम ने दोबारा से राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को दया याचिका भेजी है, जिस कारण फिलहाल डेथ वारंट पर सुनवाई टाल दी गई है।
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