Ayodhya Land Scam: जानें कैसे बिक गई 2 करोड़़ की जमीन 10 मिनट में साढ़े 18 करोड़ की, ऐसे हुई पूरी डील

अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर की जमीन को लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने राम जन्मभूमि ट्रस्ट पर आरोप लगाया है कि 2 करोड़ की जमीन साढ़े 18 करोड़ रुपये में ली गई है। इन आरोपों को लेकर जन्मभूमि घोटाले मामले में राम जन्मभूमि ट्रस्ट (Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra) ने अपनी सफाई भी पेश की है।
ट्रस्ट ने इस मामले पर बयान जारी करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दलों के द्वारा प्रचार फैलाया जा रहा है। हम पर लगे सभी आरोप गलत हैं। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने विपक्षी दलों के आरोपों को राजनीति से प्रेरित और झूठ करार दिया है। ट्रस्ट पर आरोप है कि उसने दो करोड़ की जमीन को 18.50 करोड़ में खरीदा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 4 साल पहले दो करोड़ की रजिस्ट्री हुई। लेकिन जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया, तो यहां जमीन के दाम 10 गुना बढ़ गए। ट्रस्ट की ओर से खरीदा गया भूखंड ठीक उसी जगह पर स्थापित है, जहां पर मंदिर के मॉडल जैसा बन रहे अयोध्या रेलवे स्टेशन का मुख्य गेट प्रस्तावित हुआ था। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बीती रात एक रिपोर्ट भेजी और कहा कि राम मंदिर के विस्तार के लिए जितनी महंगी जमीन मिलेगी, हम उसे खरीदेंगे।
इसके बाद से ही संजय सिंह और तेज नारायण पांडेय ने कहा कि हरीश कुमार पाठक उर्फ बाबा हरिदास व पत्नी कुसुम पाठक से 2 करोड़ की जमीन सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी को बेच दी गई। जिसके 10 मिनट बाद ही यह जमीन 18.50 करोड़ रुपये में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को बेच दी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक जमीन के ऑनलाइन रजिस्ट्री दस्तावेज में अपलोड किए गए एक पेज पर 3 बार एंट्री हुई है।
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