Bundelkhand में नहीं होगा पानी संकट, बरुआ नदी की इस तरह बदली राह

उत्तर प्रदेश(Uttar Pardesh) के झांसी(Jhansi) एरिया में पानी संकट बड़ी समस्या है। यहां के बुंदेलखंड के ललितपुर(Lalitpur) स्थित बरुआ नदी को दौबारा से जीर्णोद्धार किया गया है। इसके पीछे की कहानी बेहद रोमांचक और प्रेरणा देने वाली है। विलुप्त होती बरुआ नदी को आस—पास के लोगों, नेताओं और प्रशासनिक अधिकारयों ने फिर से संजीवनी दी है।
करेंगा गांव से निकलने वाली 13 किलोमीटर लंबी यह नदी जामनी नदी में मिल जाती है। यह 14 गांव से होकर गुजरती है। वहीं, मंडल के कमिश्नर ने संरक्षण के लिए नदी समिति का गठन किया है, जो इस नदी की निगरानी करती है। माफियाओं ने खनन के लिए खुदाई कर दी। जिससे पानी जाना बंद हो गया था। लोगों का कहना है कि इस एरिया में पानी की बहुत ज्यादा किल्लत रहती है। जिसकी वजह से इसको दौबारा से चालू करने के लिए ग्रामीणों ने प्रयास शुरू किए। इनके साथ में जनप्रतिनिधि के अलावा प्रशासन भी साथ आ गया और लगभग चार साल के मेहनत के बाद नदी(River) में फिर से पानी की धारा बहने लगी है।
झांसी मंडल के कमिश्नर डॉ. अजय शंकर पांडेय जहां—जहां से यह नदी होकर गुजरती हैं वहां एक समिति गठन करने के निर्देश दिए है। ताकि माफियाओं पर नजर रखी जा सके। उनका कहना है कि पानी के प्रवाह को बाधित करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने संबंधित एरिया के पुलिसकर्मियों को खनन माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हुए हैं।
यह हैं बरुआ नदी की कहानी
जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ संजय सिंह का कहना है कि चार साल के लंबे प्रयास के बाद फिलहाल पानी की समस्या को दूर कर दिया गया है। इसपर खनन माफिया ने बने 12 चेकडैम तोड़ दिए थे। यह नदी ग्रामीणों के लिए लाइफलाइन है। गर्मी के मौसम में यह बह रही है। अब तक नदियां नाले में बदलती रही हैं लेकिन यहां नाले को नदी में बदला गया है। उन्होंने बताया कि नदी का पानी पहुंचने काफी लोगों को पानी की किल्लत से जुझना नहीं होगा। उन्होंने बताया कि इस एरिया में पानी संकट अधिक है।
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