BHU CASE : महिला प्रोफेसर की आठ साल सुनवाई नहीं हुई, धरना दिया तो तीन दिन में जांच के आदेश

BHU CASE : महिला प्रोफेसर की आठ साल सुनवाई नहीं हुई, धरना दिया तो तीन दिन में जांच के आदेश
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पत्रकारिता एवं जनसम्प्रेषण विभाग की महिला प्रोफेसर शोभना नार्लिकर का आरोप है कि उन्हें दलित होने के कारण 2013 से नाइंसाफी झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कई बार वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर विवि प्रबंधन तक शिकायत की, लेकिन...

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में एक महिला प्रोफेसर अपने खिलाफ हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ आठ साल तक समय-समय पर आवाज उठाती रही, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हर जगह से थक हारकर महिला प्रोफेसर ने बीएचयू परिसर के सेंट्रल ऑफिस के बाहर ही धरना शुरू कर दिया। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उन्हें कई बार समझाया, लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि जब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होगी, वो धरना जारी रखेंगी। तीन दिन तक चले धरने के बाद आखिरकार विवि प्रबंधन को जांच के आदेश देने पड़े। खास बात है कि जांच पूरी करने के लिए कमेटी को 48 घंटे का समय दिया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पत्रकारिता एवं जनसम्प्रेषण विभाग की महिला प्रोफेसर शोभना नार्लिकर ने अपने साथ नाइंसाफी होने का आरोप लगाते हुए 1 मार्च को बीएचयू के सेंट्रल ऑफिस के बाहर धरना शुरू किया था। उनका आरोप है कि दलित होने के नाते 2013 से उन्हें लगातार प्रशासनिक अफसर और विभाग के प्रफेसरों का उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है। रेगुलर बेसिक पर काम करने के बावजूद उन्हें लीव विदाउट पे दिखाया जाता है। उन्हें वरिष्ठता का भी लाभ नहीं मिल रहा। विवि प्रबंधन से लेकर कई बड़े अधिकारियों तक मामले की शिकायत की, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में मजबूर होकर उन्हें धरना देने का निर्णय लेना पड़ा।

झेली कई मुसीबतें

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धरना प्रदर्शन के दौरान भी प्रोफेसर को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन वो अपने इरादे पर कायम रही। आखिरकार करीब तीन दिन बाद विवि प्रबंधन को उनकी बात सुननी पड़ी। बीएचयू वीसी राकेश भटनागर ने एक कमेटी गठित कर मामले की जांच 48 घंटे में पूरी करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने शोभना नार्लिकर से भी मुलाकात की और न्याय का भरोसा दिलाया। इस आश्वासन के बाद उन्होंने धरना समाप्त कर दिया।

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