Muzaffarnagar Riots: कवाल कांड में भाजपा विधायक समेत 12 को मिली सजा, इसी हत्याकांड के बाद दहल उठा था मुजफ्फरनगर

Muzaffarnagar Riots: कवाल कांड में भाजपा विधायक समेत 12 को मिली सजा, इसी हत्याकांड के बाद दहल उठा था मुजफ्फरनगर
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भाजपा विधायक विक्रम सैनी को मुजफ्फरनगर दंगे से पहले हुए कवाल कांड में दोषी मानते हुए सजा सुनाई गई है। इसी हत्याकांड के बाद मुजफ्फरनगर दहल उठा था।

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में साल 2013 में हुए दंगों (riots) की वजह माने जाने वाले कवाल कांड (kawal) मामले में एमपी/एमएलए कोर्ट ने सजा का सुना दी है। मामले में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी (BJP MLA Vikram Saini) समेत 12 आरोपियों को दोषी करार देते हुए दो साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई गई है। 15 आरोपियों को सबूतों को अभाव में बरी कर दिया गया है। हालांकि सजा सुनाए जान के बाद विधायक समेत सभी दोषियों को निजी मुचलकों पर रिहा कर दिया गया है।

क्या था कवाल कांड

कवाल कांड को ही मुजफ्फरनगर दंगों की मुख्य वजह माना जाता है। 27 अगस्त 2013 को मुजफ्फरनगर के जानसठ के कवाल गांव में सचिन और गौरव नाम के दो ममेरे भाइयों का शाहनवाज नाम के युवक के साथ झगड़ा हो गया था। जिसमें शाहनवाज की मौत हो गई। शाहनवाज की मौत से गुस्साई भीड़ ने बीच सड़क पर सचिन और गौरव की पीट-पीटकर हत्या कर दी। इसके बाद इलाके में साम्प्रदायिक तनाव फैल गया। दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए। मुजफ्फरनगर जिले के कई हिस्सों में भारी दंगे हुए। जिनमें करीब 60 लोगों की मौत और 40 हजार से ज्यादा परिवार बेघर हो गए। इसे मुजफ्फरनगर दंगे का नाम दिया गया। प्रदेश में उस समय सपा की सरकार थी और स्थानीय विधायक विक्रम सैनी भाजपा से थे। विक्रम सैनी पर मामले में भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा। मामले में विधायक विक्रम सैनी समेत 27 लोगों को आरोपी बनाया गया था।

दो साल की सजा, 10 हजार रुपये जुर्माना

मामले में अब स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश गोपाल उपाध्याय खतौली विधायक विक्रम सैनी समेत 12 आरोपियों को दोषी करार देते हुए दो साल की कैद और 10 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। हालांकि सजा सुनाए जाने के बाद विधायक समेत सभी दोषियों को 25-25 हजार रुपये के दो मुचलकों पर जमानत मिल गई। तब तक सभी दोषियों को न्यायिक हिरासत में रखा गया। जमानत मिलने के बाद अब सभी दोषी अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकेंगे। 15 आरोपियों को सबूतों को अभाव में बरी कर दिया गया।

बता दें की कवाल कांड के बाद ही मुजफ्फरनगर में दंगों की आग भड़की थी, जिसमें 60 से ज्यादा लोगों की मौत और 40,000 से ज्यादा परिवार बेघर हो गए थे। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में भी भूचाल आ गया था। भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर तुष्टिकरण की राजनीति करने के आरोप लगाए थे।

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