बसपा से निलंबित 11 विधायक बनाएंगे नई पार्टी, नेतृत्व के लिए मायावती के ही करीबी रहे इस बड़े नेता के नाम पर सहमति

बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) से निलंबित विधायकों ने अपनी नई पार्टी बनाने का फैसला किया है। खबरों की मानें तो सभी विधायक इस बात पर सहमत हैं कि नई पार्टी का नेतृत्व लालजी वर्मा (Lalji Verma) को सौंपा जाना चाहिए। बसपा ने अपने 18 विधायकों में से नौ को पार्टी से निलंबित और दो को निष्काषित कर दिया था, जिसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि कहीं बसपा को और बागियों का सामना न करना पड़ जाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बसपा से निलंबित श्रावस्ती के विधायक असलम राईनी ने बताया कि हम सबने तय किया है कि लालजी वर्मा के नेतृत्व में नए दल का गठन किया जाएगा। वरिष्ठ नेता रामअचल राजभर भी हमारे साथ हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास एक विधायक की कमी है। इसके पूरा होते ही हम नई पार्टी का गठन कर लेंगे। एक सवाल के जवाब में राईनी ने कहा कि बसपा से निष्कासित किसी भी विधायक को पार्टी प्रमुख मायावती से कोई नाराजगी नहीं है। दुख केवल इतना है कि बसपा में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा की ही सुनी जाती है, जबकि उनका व्यवहार बिल्कुल भी स्तरीय नहीं है।
अखिलेश यादव से भी मिलने पहुंचे विधायक
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बसपा से निष्कासित नौ विधायक समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से भी मिलने पहुंचे। सपा प्रमुख पहले भी कह चुके हैं कि सभी बागी विधायकों के आने से मिशन 2022 की राह आसान होगी। बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने तीन जून को लालजी वर्मा को विधानमंडल दल के नेता पद से हटाकर निष्कासित कर दिया था। अचल राजभर को भी इसी दिन निष्कासित कर दिया गया था।
बसपा सुप्रीमो पंचायत चुनाव के बाद से ही लालजी वर्मा और राम अचल राजभर से नाराज चल रही थीं। दोनों पर आरोप था कि उन्होंने पंचायत चुनाव में पार्टी समर्थित उम्मीदवारों के स्थान पर दूसरी पार्टी के प्रत्याशियों को समर्थन दिया। इस पर बसपा सुप्रीमो ने दोनों नेताओं को कड़ी फटकार भी लगाई थी। खबरों की मानें तो बसपा सुप्रीमो की फटकार के बाद भी दोनों नेता समाजवादी पार्टी के नेताओं के संपर्क में बने थे और लगातार कोशिश में थे कि उनकी सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात हो जाए। दोनों नेताओं को पार्टी और पद से निष्कासित करने के पीछे यही बड़ी वजह बताई जा रही है।
लालजी वर्मा को मायावती के बेहद करीबी माना जाता रहा है। वहीं राम अचल राजभर की भी बसपा में अच्छी जगह थी। यही कारण है कि लालजी वर्मा के नेतृत्व में नए दल बनने के दावे के साथ ही बसपा से नए बागियों के उभरने की कयासों को भी बल मिल रहा है।
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