ध्वजारोहण करने जा रही सीएए और NRC प्रदर्शनकारी सैयद उजमा परवीन नजरबंद, कहा यह संवैधानिक हक का हनन

ध्वजारोहण करने जा रही सीएए और NRC प्रदर्शनकारी सैयद उजमा परवीन नजरबंद, कहा यह संवैधानिक हक का हनन
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सैयद उजमा परवीन उत्तर प्रदेश के जिस स्थान पर सीएए और एनआरसी के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रही थी, ठीक उसी जगह पर पुलिस के नियमों के खिलाफ आज ध्वजारोहण करने जा रही थी। जिसे पुलिस ने बीच रास्ते में ही उसे रोक लिया और नजरबंद कर दिया।

उत्तर प्रदेश में, एक ओर, योगी सरकार के साथ तमाम मंत्रियों ने 74 वें स्वतंत्रता दिवस को बहुत उत्सव के साथ मनाया, वहीं दूसरी ओर सीएए और एनआरसी के प्रदर्शनकारी सैयद उजमा परवीन राजधानी लखनऊ के घंटा घर में ध्वजारोहण करने जा रही थी।

जिसे पुलिस ने सैयद उजमा परवीन को घंटा घर पहुंचने से पहले ही उसे रोक दिया और घर में ही नजरबंद कर दिया। जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह वहीं घंटा घर है, जो सीएए और एनआरसी के बाद से यह जगह प्रदर्शन के तौर में हमेशा जिक्र में आता रहता है।

सैयद उजमा ने कहा सभी व्यक्ति को आजादी का हक

इस नजरबंद पर उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि आज के दिन झंडा नहीं फहराने देना संवैधानिक हक का हनन है। मैं अपने देश से बहुत प्रेम करती हूं। देश में रहने वाले सभी व्यक्ति को आजादी का हक है। चाहे वह आजादी सीएए या एनआरसी से क्यों न हो।

डीसीपी सर्वश्रेठ त्रिपाठी का बयान

इस पर डीसीपी सर्वश्रेठ त्रिपाठी ने कहा कि कोरोना महामारी को देखते हुए किसी भी व्यक्ति को बिना इजाजत के पब्लिक प्लेस पर झंडा फहराने पर रोक लगाई गई है। जो भी व्यक्ति इन नियमों का उल्लघंन कर खुलेआम झंडा फहरा रहे हैं, उसे भी रोका गया।

जबकि सैयद उजमा परवीन को घर पर ही नजरबंद कर दिया गया। इसका कारण था कि वह स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सीएए और एनआरसी से आजादी दिलाने के लिए घंटा घर पर झंडा फहराने जा रही थी, जो इस महामारी के दौर में एक भीड़ जमा करने का संकेत था।

सैयद उजमा का प्रदर्शन के अलावा एक और रहा अहम रोल

उत्तर प्रदेश में लखनऊ के घंटा घर से ही सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन की शुरुआत हुई थी। जो कभी न जानने वाली जगह इस प्रदर्शन के बाद से लोगों के जुबान पर हमेशा आने लगा। सीएए और एनआरसी के खिलाफ आवाज उठाने वाली सैयद उजमा परवीन का इस प्रदर्शन में काफी अहम रोल रहा है।

इस प्रदर्शन के लिए पुलिस ने सैयद उजमा को गिरफ्तार भी किया था। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी प्रदर्शन का दौर काफी लंबा समय चला। इसके अलावा उनकी एक और भूमिका रही, वो था कोरोना महामारी के दौर में सभी धार्मिक स्थलों पर 16 लीटर का टैंक पीठ पर लादकर सैनिटाइजेशन करना।

उनके इस कार्य की काफी प्रशंसा भी हुई थी।

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