सीएम योगी ने भूजल संचयन का दिया संदेश, बोले- मां गंगा ने 'ऋषि' एवं 'कृषि' दोनों परंपराओं के संवर्धन में दिया योगदान

सीएम योगी ने भूजल संचयन का दिया संदेश, बोले- मां गंगा ने ऋषि एवं कृषि दोनों परंपराओं के संवर्धन में दिया योगदान
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उत्तर प्रदेश में 16 जुलाई से भूजल सप्ताह का शुभारंभ किया गया। आज समापन कार्यक्रम को सीएम योगी आदित्यनाथ ने संबोधित किया। पढ़िये क्या कहा...

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने 16 से 22 जुलाई तक मनाए गए भूजल सप्ताह (Ground Water Week) के समापन कार्यक्रम को संबोधित किया। राजधानी लखनऊ (Lucknow) के लोकभवन (Lok Bhawan) में आयोजित इस कार्यक्रम में सीएम योगी ने जनता से भूजल संचय के महत्व पर विचार रखे। कार्यक्रम के दौरान भूजल संचयन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भूजल सप्ताह का आयोजन 16 जुलाई से शुरू किया गया था। इस भूजल सप्ताह के दौरान 17 जुलाई को लखनऊ से 10 जनपदों के 26 विकास खंडों के 550 ग्राम पंचायतों में जाने वाले भूजल रथ का भी शुभारंभ करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि भूजल संरक्षण व जल के उचित प्रबंधन के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विजन को साकार करने के लिए यूपी सरकार प्रतिवर्ष भूजल सप्ताह का आयोजन करती है। आज समापन समारोह में मुझे इस क्षेत्र में कार्य करने वाले विशिष्ट महानुभावों को सम्मानित करने का भी अवसर प्राप्त हुआ है।

उन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भागीदारी के माध्यम से इस कार्यक्रम को सफल बनाने वाले सभी महानुभावों को अभिनंदन एवं बधाई दी। सीएम योगी ने कहा कि जल है तो जीवन है। जल और जीवन के बीच के इस भाव को हर व्यक्ति समझता है, लेकिन इसके उचित प्रबंधन के बारे में जो प्रयास होने चाहिए, उसमें व्यक्ति चूक जाता है।

उन्होंने कहा कि महज 17-18 वर्षों में क्रिटिकल विकास-खंडों की संख्या बढ़कर कई गुना हो गई है। हालांकि विगत 04-05 वर्षों में जो अभियान प्रदेश में चले, उसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। हमें क्रिटिकल विकास-खंडों को सामान्य विकासखंडों में परिवर्तित करने में मदद मिली है।

सीएम ने कहा कि प्रदेश में अमृत सरोवर बनाने की प्रक्रिया बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ी है। हमने अब तक उत्तर प्रदेश में कई अमृत सरोवर बनाने में सफलता प्राप्त की है। ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में कार्य होता हुआ दिखाई दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी सी नदी को भी गांव वाले 'गांव की गंगा' कहते हैं। मां गंगा ने भारत की 'ऋषि' एवं 'कृषि' दोनों परंपराओं के संवर्धन में अपना योगदान दिया है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि एक पवित्र भाव के साथ अगर हर व्यक्ति जल की एक-एक बूंद की कीमत समझने लगेगा तो आने वाले समय में जल संकट नहीं खड़ा होगा।

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