सीएम योगी ने ट्विन टावर मामले के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई के दिए निर्देश, जानिये किन पर गिरेगी गाज

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावरों (Noida Supertech Twin Towers Demolition) को ध्वस्त करने की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने समीक्षा बैठक (Review Meeting) में अधिकारियों को निर्देश दिया कि टावरों के ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया में सुरक्षा मानकों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित होना चाहिए। ध्वस्तीकरण प्रक्रिया में आस-पास के आवासीय परिसर में रहने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। साथ ही सीएम योगी (CM Yogi) ने डेढ़ दशक पुराने इस मामले के दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम योगी आदित्यनाथ की समीक्षा बैठक में संबंधित अधिकारियों ने बताया कि नोएडा के दो ट्विन टावरों को 28 अगस्त को ध्वस्त करने की प्रक्रिया की जाएगी। इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सीएम को अवगत कराया गया कि ट्विन टावर्स के निकट स्थित एमराल्ड कोर्ट के 660 भवन और एटीएस विलेज के 762 भवन 28 अगस्त को सुबह सात बजे खाली करा लिए जाएंगे। एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसाइटी के वाहनों की वैकल्पिक पार्किंग व्यवस्था और बाग-बगीचों की सुरक्षा की जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि ध्वस्तीकरण के दौरान ट्विन टावर्स के चारों ओर की सड़कों पर आवागमन प्रतिबंधित रखा जाएगा। ध्वस्तीकरण के समय सुरक्षा के दृष्टिगत नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे आधा घंटे बंद होगा। सीएम योगी को अवगत कराया गया कि ट्विन टावर्स को ध्वस्त किए जाने के लिए CSIR-CBRI के सहयोग से मुम्बई की मे0 एडिफाइस इंजीनियरिंग एजेंसी का चयन किया गया है। ध्वस्तीकरण के लिए वॉटर फॉल इम्प्लोजन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। यह तकनीक नियोजित ध्वस्तीकरण के लिए उपयोग में लाई जाती है। इससे डिजाइन के अनुसार वांछित दिशा में भवन को गिराया जा सकता है।
सीएम योगी को अवगत कराया गया कि ट्विन टावर्स को ध्वस्त करने के लिए लगभग 3,700 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री लगाई गई है। टावरों का ध्वस्तीकरण 28 अगस्त को दोपहर ढाई बजे किया जाएगा। एक बटन दबाने से दोनों टावर्स 12 सेकंड में ध्वस्त हो जाएंगे।
सीएम योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस कार्रवाई में किसी प्रकार की जान को खतरा नहीं होना चाहिए। उन्होंने सभी सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए। साथ ही, डेढ़ दशक पुराने मामले में दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं।
यह है मामला
नोएडा विकास प्राधिकरण ने 2004 में सुपरटेक कंपनी को सेक्टर-93 A में हाउसिंग सोसायटी बनाने के लिए जमीन दी थी। सुपरटेक को 14 टावर और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाना था। सभी टावर की ऊंचाई जमीन से 9 फ्लोर तय की गई थी। नोएडा प्राधिकरण ने जून 2006 में इस प्लान में बदलाव करते हुए अतिरिक्त जमीन दी और 11 फ्लोर के 15 टावरों में कुल 689 फ्लैट्स बनाने का आदेश दे दिया। लोगों को कहा गया कि वहां पर ग्रीन बेल्ट मिलेगी। सुविधाओं के नाम पर लोगों ने फ्लैट बुक कर लिए।
इसी बीच साल 2009 में सुपरटेक ने नोएडा विकास प्राधिकरण के साथ सांठगांठ कर सोसाइटी के सामने अपेक्स और सियान नामक दो टावर खड़े कर दिए। इसके खिलाफ स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। स्थानीय अदालत से हाई कोर्ट और हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा। हैरानी की बात यह थी कि हाई कोर्ट के पास जब मामला पहुंचा, तब ट्विन टावर सिर्फ 13 फ्लोर ही बना था, लेकिन डेढ़ साल के भीतर 32 फ्लोर का निर्माण करा दिया। हाई कोर्ट ने ट्विन टावरों को जमींदोज करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने ही हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है और दोनों टावर जमींदोज करने की तारीखें टलती रही, लेकिन अब 28 अगस्त को दोनों टावर ध्वस्त करने की तिथि फाइनल हो चुकी है।
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