यूपी विधानसभा में कांग्रेस और बसपा का छिना दफ्तर, जानें क्या है वजह

UP News: उत्तर प्रदेश विधानसभा में अब बसपा और कांग्रेस को दफ्तर की जगह केबिन आवंटित कर दिए गए हैं। लंबे समय तक विधानसभा में बसपा और कांग्रेस को बड़े दफ्तर आवंटित थे। कांग्रेस पार्टी के इतिहास में पहली बार हुआ है, जब सबसे बड़े राज्य के विधानमंडल के भीतर उनका ऑफिस छिन गया है। ऐसा सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बसपा का भी दफ्तर विधानसभा सचिवालय ने वापस ले लिया। दोनों पार्टियों का दफ्तर छीनने की वजह संख्या बल में कमी बताई गई है।
समाजवादी पार्टी का हुआ फायदा
वहीं, समाजवादी पार्टी को फायदा हुआ है। दरअसल समाजवादी पार्टी को बड़ा कार्यालय आवंटित किया गया है। अब बसपा और कांग्रेस कार्यालयों को मिलाकर सपा कार्यालय का विस्तार किया गया है। इसके अलावा लोकदल और सुभासपा को केबिन अलॉट किए गए हैं। कार्यालय छीनने पर कांग्रेस और बसपा नेताओं ने नाराजगी जताई है। बसपा विधानमंडल दल के नेता उमाशंकर सिंह ने कहा कि इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की जाएगी और पार्टी के लिए कार्यालय आवंटित करने की मांग की जाएगी। फिलहाल पार्टी को एक छोटा सा केबिन दिया गया है।
क्या कहती है विधानसभा सदस्य नियमावली
विधानसभा सदस्य नियमावली 1987 की धारा 157 (2) के मुताबिक ऐसे दल जिनकी सदस्य संख्या 25 या उससे अधिक है उन्हें सचिवालय द्वारा कक्ष, चपरासी, टेलीफोन आदि उन शर्तों के साथ दिए जा सकते हैं जैसी विधान सभा अध्यक्ष निर्धारित करें। नियमावली के मुताबिक 25 से कम सदस्यों वाले दल को कक्ष आदि सुविधा का अधिकार नहीं है। इसलिए दोनों दलों से दफ्तर छीन लिया गया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के दो सदस्य हैं, जबकि बसपा के पास केवल एक सदस्य है। राज्य की 402 सदस्यीय विधानसभा में आराधना मिश्रा मोना और वीरेंद्र चौधरी कांग्रेस के सदस्य हैं, जबकि उमा शंकर सिंह बसपा के सदस्य हैं।
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