प्राचीन काल में भी भारतीय लड़ाकों के पास थे आधुनिक हथियार, UP में मिले भगवान कृष्ण के जमाने के 'Weapon'

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मैनपुरी (Mainpuri ) जिले के गणेशपुर गांव में खेत की खुदाई के दौरान एक किसान को तांबे की तलवारें और हार्पून (copper swords and harpoons) मिले थे। हथियारों को किसान अपने घर ले गया तो यह खबर एरिया में आग की तरह फैल गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने पूरे मामले की जानकारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों को दी। तांबे के हथियारों के शोध के बाद आए परिणाम से आर्कियोलॉजिस्ट (Archaeologist) भी रोमांचित हैं। चार हजार साल पुराने यानी भगवान श्रीकृष्ण काल द्वापर युग (Lord Shri Krishna Kaal Dwapar Yuga) के हथियार बताए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि प्राचीन काल (ancient time) में भी भारतीय लड़ाकों के पास उन्नत हथियार हुआ करते थे। लड़ाके दुश्मनों से लड़ाई के दौरान चार फीट तक लंबी तलवारों का इस्तेमाल करते थे। साथ ही ये सोफिस्टिकेटेड आकार (Sophisticated shape) के होने के साथ-साथ काफी तेज भी हुआ करते थे। स्टारफिश की तरह भी काफी हथियार मिले है।
हथियारों की जांच के बाद आर्कियोलॉजिस्टों ने 'रोमांचक' करार दिया है। बरामद हुए हथियारों को पुरातत्वविदों ने एंटीना तलवारों और हार्पून (Antenna Swords and Harpoons) की उपाधि भी दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि मैनपुरी के खेत में मिले तांबे के हथियार करीब 4000 साल पुराने हैं। गहन अध्ययन से लगता है कि इनका संग्रह द्वापर युग का है। ASI के आर्कियोलॉजी (archeology) के निदेशक भुवन विक्रम का दावा है कि तांबे के ये हथियार ताम्र पाषाण काल (कॉपर एज) के हैं। गेरू रंग के बर्तनों (OPC) के रहने के कारण यह काफी हद तक साबित होता है। कांसा हड़प्पा काल की एक बड़ी विशेषता थी। शोध में सामने आया है कि इस प्रकार के हथियार मुख्य रूप से तांबे से बने होते थे। इनमें कांसे(bronze) का प्रयोग नहीं होता था।
ओपीसी संस्कृति है 4 हजार साल पुरानी
OPC संस्कृति काल (culture period) में मिट्टी के बर्तनों में लाल रंग की स्लिप लगाई जाती है। यह काल 2000 से 1500 ईसा पूर्व के बीच माना गया है। इस छूने पर गेरू रंग आता था। लिहाजा पुरात्वविदों (archaeologists) ने उसे ओपीसी संस्कृति का नाम दिया। एएसआई के प्रवक्ता और संरक्षण निदेशक वसंत स्वर्णकार ने बताया कि पहले भी हुई खोजें साबित कर सकती हैं कि मैनपुरी में मिले हथियार लगभग 3800 से 4000 साल पुराने हैं। उन्होंने कहा कि बागपत के सनौली मुरादाबाद के मदारपुर, सहारनपुर के सकटपुर से मिले नमूनों के परीक्षण भी 2000 ईसा पूर्व (4000 साल पहले) के साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि उस दौरान भी लोग युद्ध् के दौरान बड़े-बड़े हथियारों का इस्तेमाल किया करते थे।
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