कोरोना काल: बलिया के युवक ने दिखाया हौसला और माफ करा ली 500 सहपाठियों की ढाई करोड़ फीस

कोरोना महामारी के दौर में छात्रों के साथ-साथ अभिभावकों को भी विभिन्न आर्थिक संकटों का समना करना पड़ रहा है। महामारी के बीच बैशक स्कलू कॉलेज बंद रहे पर छात्रों को फीस भरनी पड़ रही है। दूसरी ओर बलिया के बैरिया तहसील के दुर्जनपुर गांव के रहने वाले छात्र अनुराग ने जब अपने साथियों के समक्ष विश्वविद्यालय की फीस भरने की चुनौतियां देखी तो उससे रहा नहीं गया। साथ अनुराग ने मामले को लेकर अदालत में जनहित याचिका दायर कर दी। अनुराग लॉ का छात्र है। जिसके चलते स्वयं अनुराग ने इस मामले की पैरवी भी की। अनुराग को इस मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया व सिविल सोसाइटी का भी साथ मिला। अंत में अनुराग विश्वविद्यालय के करीब 500 छात्रों के एक सेमेस्टर की जून से नवंबर तक की पूरी फीस (प्रति छात्र करीब 50 से 55 हजार रुपये) माफ कराने में सफल रहा है।
फीस माफी की जानकारी लगने पर अनुराग के सभी सहपाठी खुश हैं और इससे बलिया के अन्य छात्रों का हौसला भी बढ़ा है। अनुराग ने 10वीं व 12वीं की पढ़ाई जमशेदपुर में की है। इसके बाद अनुराग ने क्लैट (कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट) के जरिए वर्ष 2017 में नेशनन लॉ यूनिवर्सिटी विशाखापत्तनम में प्रवेश लिया। फिलहाल अनुराग सातवें सेमेस्टर का छात्र है।
अनुराग कहते हैं कि कोरोना महामारी के दौर में कई अभिभावकों की नौकरी चली गईं है। कारोबार ठप हो गये हैं। इन्हीं वजहों को लेकर विभिन्न छात्रों के सामने फीस जमा करने का संकट पैदा हो गया। अनुराग का कहना है कि लॉ का छात्र होने के चलते हमने इस मामले को लेकर कानूनी लड़ाई का मन बनाया। जिसके तहत उसने मई 2020 में आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की।
अनुराग को मामले में मिला बार काउंसिल ऑफ इंडिया का साथ
अनुराग को इस मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया का भी साथ मिला। अनुराग ने मामले के संबंध में हाईकोर्ट में दलील खुद रखी और बताया कि कोरोना काल में विश्वविद्यालय ऑनलाइन क्लास ही ले रहा है। साथ अनुराग ने तर्क दिया कि विवि ट्यूशन फीस के अलावा अन्य कोई शुल्क मसलन लाइब्रेरी फीस, बिजली, हॉस्टल, कम्प्यूटर फीस, खेलकूद आदि के मद में कोई शुल्क नहीं ले सकता। अनुराग के बताये अनुसार, उसकी दलीलों को न्यायालय ने सही ठहराया और विश्वविद्यालय प्रशासन को इस संबंध में वार्ता कर हल निकालने का आदेश सुना दिया। अनुराग ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग व नेशनल ला यूनिवर्सिटी में कई बार अपना पक्ष रखा। अंत में विवि प्रशासन ने करीब 500 छात्रों के ढाई करोड़ रुपये माफ करने का ऐलान कर दिया।
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