डॉ. कफील खान की जेल की सजा में तीन महीने की बढ़ोतरी, एनएसए के तहत किया गया था गिरफ्तार

डॉ. कफील खान की जेल की सजा में तीन महीने की बढ़ोतरी, एनएसए के तहत किया गया था गिरफ्तार
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भड़काऊ भाषण और धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में जेल की सजा काट रहे डॉक्टर कफील खान को अभी तीन महीने और कैद रहन होगा। उऩकी सजा में तीन महीने की बढ़ोतरी की गई है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि भड़काऊ भाषण देने और धर्म के खिलाफ अफवाह फैलाने के आरोप में उन्हें NSA के तहत गिरफ्तार किया गया था।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले डॉक्टर कफील खान को अभी तीन महीने और जेल की सजा काटनी होगी। भड़काऊ भाषण और धर्म के खिलाफ अफवाह फैलाने के आरोप में जेल की सजा काट रहे डॉक्टर कफील के कैद की सीमा को 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने कर दिया गया है।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि 13 फरवरी को परामर्श दात्री समिति और अलीगढ़ डीएम की रिपोर्ट के तहत डॉ. कफील खान को 6 महीने के लिए एनएसए के तहत जेल में कैद किया गया था, जो लगभग सजा पूरा होने से पहले तीन महीने की बढ़ोतरी कर दी गई।

सरकार द्वारा गठन बोर्ड के तहत लिया गया फैसला

4 अगस्त को जारी आदेश में कहा गया है कि यह निर्णय एनएसए सलाहकार बोर्ड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर लिया जा रहा है, जिसका गठन सरकार ने अधिनियम और अलीगढ़ के जिला मजिस्ट्रेट के अधीन मामलों से निपटने के लिए किया है।

सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में कफील पर लागू एनएसए के तहत सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया था। जिस पर चीफ जस्टिस बोबडे की बेंच ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को इस मामले पर जल्द सुनवाई करे और 15 दिनों के भीतर अपना फैसला सुनाए।

भड़काऊ भाषण और धर्म केें खिलाफ अफवाह फैलाने के आरोप में गिरफ्तार

अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण और धार्मिक भावनाओं को लेकर अफवाह फैलाने के आरोप में दिसंबर को अलीगढ़ में डॉक्टर कफील खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। वहीं, धर्म, नस्ल, भाषा के आधार पर नफरत फैलाने के मामले में धारा 153-ए के तहत केस दर्ज किया गया।

इसके बाद बीते 29 जनवरी को डॉक्टर कफील को यूपी एसटीएफ ने भड़काऊ भाषण के आरोप में मुंबई से गिरफ्तार किया था। इस बीच 10 फरवरी को, अलीगढ़ सीजेएम कोर्ट ने डॉ. कफील की जमानत का आदेश दिया, लेकिन उनकी रिहाई से पहले, उन पर एनएसए लगा दिया गया।

इसके चलते उन्हें रिहाई नहीं हो सकी।


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