बाराही मेले में देखने को मिली हिंदू-मुस्लिम के बीच एकता की मिसाल, रावण के बाबा पुलस्त्य ऋषि ने की थी मंदिर की स्थापना

यूपी के नोएडा के सूरजपुर में प्राचीन ऐतिहासिक बाराही मेला-2022 चल रहा है। सोमवार को मेले में हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल देखने को मिली है। यहां मुस्लिम समाज के लोगों को बतौर चीफ गेस्ट निमंत्रण दिया गया। इस दौरान मुस्लिम समाज के लोगों ने प्राचीन कालीन माता बाराही मंदिर के लिए 51 हजार रूपये की धनराशि भेंट की है। कार्यक्रम के दौरान शिवमंदिर मेला समिति ने सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर स्मृति चिंह भेंंट किया। बराही मेला समिति के मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि सूरजपुर कस्बे की पूरानी पंरपरा रही है कि एक-दूसरे समुदाय के लोगों के विवाह और धार्मिक समारोह में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
चीफ गेस्ट चौधरी असगर प्रधान ने 51 रूपये की धनराशि भेंंट करते हुए कहा कि सूरजपूर में समरसता और सौहार्द की यह मिसाल पहले से ही चली आ रही है। बड़े बुजुर्गो ने इस पंरपरा की शुरूआत की है और युवा पीढ़ी को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी हैं। प्राचीन ऐतिहासिक बाराही मेला-2022 सूरजपुर का नही बल्कि पूरे जिले का गौरव है। इस मौके पर रंगारंग कल्चरल प्रोग्रामों को भी आयोजन किया गया। नरेश भाटी, हरेंद्र नागर, सुषमा, डॉली और पिंकी शर्मा आदि कलाकारों ने रांगनी की प्रस्तुतियां दी।
पुलस्त्य मुनि ने बाराही मेला स्थल पर सैकड़ों वर्षो तक की थी तपस्या
सूरजपुर में प्राचीनकालीन बाराही मंदिर है। यहां हर साल बाराही मेले का आयोजन किया जाता है। बाराही मंदिर के पीछे कई तरह की किवदंतियां भी है। बताया जाता है कि रावण के दादा पुलस्त्य मुनि ने मेला स्थल पर सैकड़ों वर्षो तक तपस्या की थी। वहीं, वराह और बराही माता ने लोगों को दर्शन भी दिए थे। पृथ्वी को नाश से बचाने की वजह से लोगों ने वराह और बराही माता की पूजा करनी शुरू कर दी थी। बाद में पुलस्तय ऋषि ने यहां शिवलिंग की स्थापना की, जो आज भी पूरे वैभव के साथ विराजमान है।
बिसरख माना जाता है रावण का गांव
सूरजपुर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर बिसरख गांव है। बिसरख रावण का गांव माना जाता है। यहां रावण के पिता विश्रवा ऋषि पे शिवलिंग की स्थापना की थी। बताया जाता है कि इस गांव को विश्रवा ऋषि के नाम बसाया था। आज यह बिसरख के नाम से जाना जाता है। विश्रवा ऋषि ने यहां बराही मंदिर में तप भी किया था। कहा जाता है क कि भगवान शिव ने दर्शन देकर उन्हें कुल पुरोहित बनाया था। उसी समय बाराही देवी की स्थापना की थी। उन्हीं की तपस्या का फल है कि बाराही मंदिर परिसर में स्थित चमात्कारिक सरोवर में नहाने से समस्त चर्म रोग दूर हो जाते हैं।
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