बदायूं के एसएसपी कार्यालय में खुद को आग लगाने वाले किसान की मौत, पांच पुलिसकर्मी सस्पेंड

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बदायूं (Badaun) में अपनी फसल को आग लगाने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई न होने से आहत किसान ने एसएसपी ऑफिस (SSP Office) के बाहर खुद को आग लगा ली। बुरी तरह से झुलसे किसान को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां आज सुबह उनकी मौत (Farmer Suicide) हो गई। पुलिस के अधिकारियों ने मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों को निलंबित (Policemen Suspended) किया गया है। साथ ही आरोपियों के खिलाफ केस भी दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गांव दौरी रसूलपुर निवासी 45 वर्षीय किसान किशनपाल ने खेत में अपनी फसल को एकत्र कर रखा था। गांव के ही कुछ लोगों ने रंजिश के चलते किशनलाल की फसल को जला दिया। किशनपाल के बेटे अमरजीत ने बताया कि उनके पिता ने 25 अप्रैल को सिविल लाइंस थाने आकर रामऔतार, रामेश्वर, ओमेंद्र, रामेंद्र, श्रीराम, विवेक, ओमवीर और देवेंद्र आदि के खिलाफ शिकायत दी थी, लेकिन मंडी चौकी प्रभारी ने दूसरे दिन किशनपाल पर भी केस दर्ज कर लिया। इससे उनके पिता बेहद परेशान थे।
कई बार गुहार लगाने के बाद भी पुलिसकर्मियों ने सुनवाई नहीं की तो वे बुधवार की दोपहर बदायूं एसएसपी कार्यालय में पहुंचे और दोपहर करीब 12 बजे खुद को आग लगा ली। पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया और उसे जिला अस्पताल दाखिल कराया। यहां उसकी हालत गंभीर देखते हुए बरेली रेफर कर दिया। यहां उपचार के दौरान चार बजे किसान किशनपाल की मौत हो गई। किसान की मौत की सूचना मिलते ही पुलिस के आला अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया।
एसएसपी ओपी सिंह ने इस मामले में सिविल लाइंस इंस्पेक्टर राजकुमार तिवारी, मंडी चौकी प्रभारी राहुल पुंडीर, दहगवां चौकी प्रभारी अशोक कुमार, सिपाही अशीष कुमार और मनोज कुमार को निलंबित कर दिया है। इसके अलावा आईजी रेंज रमित शर्मा ने एसआईटी का गठन किया है, जो कि मामले की जांच करेगी। उन्होंने बताया कि जो भी पुलिसकर्मियों पर दोष साबित हो जाएगा, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
किसान के नाम नहीं था खुद का खेत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस घटना के बाद से ग्रामीणों में खासा रोष है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुलिस निष्पक्षता से कार्यवाही करती और किशनपाल के खिलाफ केस दर्ज नहीं होता और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जाती तो शायद वो जिंदा बचता। ग्रामीणों ने बताया कि किशनपाल के पास खुद का खेत नहीं था। वो पिछले कई सालों से बंटाई पर खेत लेकर ही खेती करता था। आग लगने से पूरी फसल जलकर राख हो गई थी। वो पहले सदमे में था और खुद पर केस दर्ज होने के बाद ज्यादा आहत हो गया था। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार को पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाना चाहिए।
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