BJP के पूर्व MLA का विवादित बयान, बोले-2022 में ज्ञानव्यापी का 1992 में बाबरी मजिस्द जैसा होगा हश्र, VIDEO

BJP के पूर्व MLA का विवादित बयान, बोले-2022 में ज्ञानव्यापी का 1992 में बाबरी मजिस्द जैसा होगा हश्र, VIDEO
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उत्तर प्रदेश के मेरठ से बीजेपी के पूर्व विधायक और फायर ब्रांड नेता संगीत सोम ने एक बार फिर से विवादित बयान दिया है।

उत्तर प्रदेश (Uttttar Pardesh) के मेरठ से बीजेपी (BJP) के पूर्व विधायक और फायर ब्रांड नेता संगीत सोम (Sangeet Som) ने एक बार फिर से विवादित बयान दिया है। ज्वलागढ़ स्थित महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) चौक पर सोमवार को संगीत सोम ने दिल्ली सरकार (Delhi Goverment) को जमकर कोसा तो दूसरी तरफ ज्ञानव्यापी मस्जिद पर भी हमला बोला है। उन्होंने दावा किया है कि मस्जिद की हकीकत रामलला जन्मभूमि की तरह छिपाई गई है। जिसको लेकर उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी एक विवादित पोस्ट लिखी है।


जिसमें साफ लिखा है कि 92 में बाबरी तो 2022 में ज्ञानव्यापी की बारी है। उन्होंने यह भी कहा कि औरंगजेब जैसे लोग और मुस्लिम आक्रांताओं ने मंदिर तोड़कर जो मस्जिदें खड़ी की हैं। जल्द ही ऐसे लोगों का इतिहास सभी के सामने आएगा। सोशल मीडिया(Social Media) पर उनकी पोस्ट जमकर वायरल हो रही है तो वहीं उनका बयान भी सुर्खियों में बना हुआ है।

यह है ज्ञानव्यापी मजिस्द विवाद

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple in Varanasi) के पास सटी ज्ञानव्यापी मस्जिद (Gyanvapi masjid) पर ताजा विवाद मस्जिद परिसर के अंदर मौजूद श्रृंगार गौरी की रोज पूजा-अर्चना की मांग को लेकर है। मजिस्द में पूजा वाली याचिका के बाद कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे (Archaeological Survey) का आदेश दिया है। मंदिर-मस्जिद (Temple-Mosque) का भी यह विवाद काफी पुरना है। 213 साल पहले भी इसे लेकर दंगे हुए थे। हालांकि, आजादी के बाद वहां कोई दंगा नहीं हुआ।

18 अगस्त 2021 को ज्ञानव्यापी मजिस्द (Gyanvapi masjid) परिसर में पूजा अर्चना (Worship ) को लेकर पांच महिलाएं कोर्ट पहुंची थीं। यहां साल में एक बार पूजा होती है। वाराणसी सिविल कोर्ट (Varanasi Civil Court) ने 26 अप्रैल 2022 को ज्ञानवापी मस्जिद में श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) और अन्य देव देवताओं के सत्यापन के लिए वीडियोग्राफी (Video Graphic) और सर्वे (Serve) का आदेश दिया था। मुस्लिम (Muslim)पक्ष ने कोर्ट के आदेश के बाद भी विरोध जताया। छह मई विरोध शुरू होने के बाद सर्वे का कार्य नहीं हो सका।

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