उत्तर प्रदेश के इस शहर में गांवों का होगा पुनर्विकास, इतने करोड़ रुपये खर्च करेगी सरकार, डीपीआर बनाने के दिए आदेश

उत्तर प्रदेश के इस शहर में गांवों का होगा पुनर्विकास, इतने करोड़ रुपये खर्च करेगी सरकार, डीपीआर बनाने के दिए आदेश
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ग्रेटर नोएडा की शुरुआत सबसे पहले इन सबसे पुराने गांवों सुरजपुर और कासना से हुई थी। ऐसे में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने दोनों गांवों को विकसित करने का फैसला किया है। यहां कराए जाने वाले कार्यों का ब्यौरा इस रिपोर्ट से जानिये...

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) ने यहां के सबसे पुराने सूरजपुर (Surajpur) और कासना (Kasna) गांव में पुनर्विकास का काम (Redevelopment Work) तेजी से शुरू कर दिया है। खास बात है कि यहां विकास कार्यों के दौरान ऐतिहासिक इमारतों की बेहतर देखभाल का भी प्रबंध होगा। प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण (CEO Narendra Bhushan) ने दोनों गांव पहुंचकर यहां के हालात का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि जल्द दोनों गांव नए रंग-रूप में दिखाई देंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ग्रेटर नोएडा की शुरुआत सबसे पहले इन सबसे पुराने गांवों सुरजपुर और कासना से हुई थी। ऐसे में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने दोनों गांवों को विकसित करने का फैसला किया है। प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण का कहना है कि पुनर्विकास योजना के तहत इन दोनों गांवों की सड़कों और गलियों का दोबारा से निर्माण कराया जाएगा। वर्तमान के बाजार में भी सौंदर्यीकरण कार्य कराए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि दोनों गांवों में 10-10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। आगामी जरूरतों के अनुसार इसमें राशि बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि दोनों गांवों के लिए 100 दिन के भीतर कंसल्टेंट का चयन किया जाएगा। डीपीआर बनाने के लिए तीन माह का समय और एक साल के भीतर टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि 2025 तक यह दोनों गांव नए रंग रूप में दिखाई देंगे।

कहां कौन सा कार्य होगा

सूरजपुर स्थित घंटाघर चौक और आसपास के क्षेत्र को एंटरटेनमेंट जोन के रूप में विकसित किया जाएगा। कासना के निहालदे मंदिर के आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण होगा। एसटीपी और मंदिर के बीच नाले को रीवर फ्रंट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। सूरजपुर में स्थित सभी सरकारी विभाग भी नए रंग रूप में नजर आएंगे। सूरजपुर-कासना रोड के किनारे हरियाली को भी विकसित किया जाएगा।

इसलिए खास हैं दोनों गांव

कासना और सूरजपुर, दोनों का एतिहासिक महत्व है। माना जाता है कि कासना को मध्यकाल में राजा राव कासल ने बसाया था। उनके प्राचीन किले का अवशेष अब भी है। सती निहालदे का मंदिर भी कासना में है। कासना में नौलखा बाग भी बहुत प्रसिद्ध हुआ था, जिसमें नौ लाख पेड़ थे। यहां अभी भी कुछ हरियाली दिखाई देती है। ऐसे में यहां पेड़ भी लगाए जाएंगे। सूरजपुर की बात करें तो इस गांव को मध्यकाल में राजा सूरजमल ने बसाया था। गौतमबुद्ध नगर का मुख्यालय, विकास भवन, पुलिस कमिश्नर ऑफिस, जिला अदालत, जीएसटी कार्यालय आदि सरकारी विभाग सूरजपुर कस्बे की जमीन पर हैं। बता दें कि प्राचीन बराही मेला भी सूरजपुर में ही लगता है।

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