हाथरस: पीड़ित परिवार गांव छोड़ने को मजबूर, भाई ने कहा मिल रही है जान से मारने की धमकियां

हाथरस: जहां इस मामले में विपक्ष और पक्ष एक-दूसरे पर हमलावर हो रहे हैं तो वहीं, दूसरी तरफ पीड़ित परिवार के अनुसार दहशत की वजह से कोई हमें पूछने वाला नहीं है। साथ ही गांव में स्वर्णों के द्वारा आरोपियों के पक्ष में पंचायत किया जा रहा है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता के परिजनों ने बताया कि गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है। हम सब भी इसी दहशत में जी रहे हैं और इस दहशत के कारण हमें कोई पूछने वाला नहीं है। गांव के कोई भी व्यक्ति उनकी मदद करने से हिचकिचाता है।
इस हादसे के बाद से गांव के लोग हम से दूरियां बनाना शुरू कर दिया है। यहां का ऐसा हाल और दहशत देखकर हमारे पास गांव छोड़ने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं है। हम सब इस गांव को छोड़कर किसी रिश्तेदार के घर चले जाएंगे।
पीड़ित के पिता और भाई का बयान
पीड़ित के पिता ने कहा कि हमें तो आगे चलकर मौत दिखाई दे रही है। कई लोग पूछने के बजाय हमसें दूूरी बना रहे हैं। यहां हालात को देखकर हमारे भी मन में डर का माहौल बन रहा है। इससे अच्छा है कि हम गांव छोड़कर कहीं चले जाएं। भीख मांगकर गुजारा करेंगे।
जबकि पीड़ित के बड़े भाई ने कहा कि हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि यहां पर रहना मुश्किल है। छोटे भाई को मारने की धमकी मिल रही है। हालांकि इसके पहले भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण पीड़ित परिवार से मिलने के दौरान कहा था कि अगर सरकार पीड़ित परिवार की सुरक्षा नहीं कर सकती है तो हमें बता दें।
अपने साथ ले जाकर इनकी सुरक्षा का ध्यान रखेंगे।
पीड़िता के आरोपियों के पक्ष में स्वर्ण
पीड़िता के परिवार का कहना है कि सवर्ण समाज गांव में लगातार आरोपी युवकों के समर्थन में पंचायत कर रहा है। पंचायत के जरिए पीड़ित परिवार को झूठा बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं।वहीं, परिवार को झूठा बताकर आरोपियों को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं।
सुरक्षा के बावजूद परिवार का डर
दूसरी ओर, परिवार के इस डर के बीच पीड़ित परिवार की सुरक्षा को लेकर पुलिसबल की तैनाती की गई है। घर पर सीसीटीवी भी लगा दिए गए हैं। 24 घंटे परिवार के हर एक सदस्य के साथ दो बॉडीगार्ड को लगाया गया है। घर के बाहर PAC के 18 जवानों तैनात किए गए हैं।
वहीं, घर के अंदर हेड कॉन्स्टेबल के अलावा 6 अन्य गार्ड (4 पुरुष, दो महिला) को तैनात किया गया है। घर के प्रवेश द्वार पर 2 सब इंस्पेक्टर को रखा गया है। प्रवेश द्वार पर अब मेटल डिटेक्टर भी लगा दिया गया है। बावजूद पीड़ित परिवार खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है।
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