IPS डॉ. अजयपाल शर्मा और हिमांशु कुमार समेत पांच लोगों के खिलाफ FIR, फोन कॉल और चैट से मिले थे सबूत

उत्तर प्रदेश के योगी सरकार ने डॉ. अजयपाल शर्मा और हिमांशु कुमार समेत पांच लोगों के आरोपों की जांच के लिए विजिलेंस के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था। इस जांच में मिले सबूत के जरिए मेरठ जिले में एंटी करप्शन एक्ट के तहत केस दर्ज की गई है।
इस केस में IPS डॉ. अजयपाल शर्मा, हिमांशु कुमार, पत्रकार चंदन राय, स्वप्निल राय और अतुल शुक्ला समेत पांच लोगों के नाम शामिल है। इन पांचों के खिलाफ विजिलेंस मेरठ सेक्टर में एंटी करप्शन एक्ट के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की गई है।
प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत केस दर्ज
अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार डॉ. अजयपाल शर्मा और हिमांशु कुमार के फोन कॉल और चैट के जरिए आरोपों के सबूत मिले थे। दोनों पर ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए पैसों के लेन–देन का आरोप है। वहीं, अन्य तीन लोगों पर सरकारी अधिकारी को भ्रष्टाचार के लिए प्रेरित करने का आरोप है।
सभी लोगों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 8 और 12 के तहत केस दर्ज की गई है। सबूत मिलने के तहत अनुमान लगाया जा रहा है कि डॉ. अजयपाल शर्मा और हिमांशु कुमार को जल्द ही सस्पेंड की चिठ्ठी मिल सकती है।
विजिलेंस के नेतृत्व में एसआईटी का गठन
जानकारी के लिए आपको बता दें कि नोएडा के एसएसपी रह चुके वैभव कृष्ण ने अजय पाल शर्मा और हिमांशु कुमार पर अपराधियों से संबंध और घुसखोरी का आरोप लगाए थे। इसके बाद योगी सरकार ने इन आरोपों की जांच के लिए विजिलेंस के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था।
एसआईटी की टीम ने दिसंबर 2019 को योगी सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट के तहत अजयपाल शर्मा और हिमांशु कुमार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया गया था। इस आदेश के तहत विजिलेंस ने मामले की जांच शुरू कर सबूतों को जुटाना शुरू किया।
जहां मिले सबूत के तहत दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
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