BSP Review Meeting: बसपा सुप्रीमो मायावती ने हार पर जताई 'नाराजगी', पार्टी की सभी इकाइयां भंग

BSP Review Meeting: बसपा सुप्रीमो मायावती ने हार पर जताई नाराजगी, पार्टी की सभी इकाइयां भंग
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बसपा सुप्रीमो मायावती इस बात से हैरान हैं कि आखिर विधानसभा चुनाव में केवल एक ही सीट जीत सके हैं। ऐसे में उन्होंने पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने के लिए सभी इकाइयों को भंग कर दिया है। पढ़िये पूरी रिपोर्ट...

बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) में मिली करारी शिकस्त का कारण जानने के लिए आज समीक्षा बैठक (Review Meeting) बुलाई गई। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अहम निर्णय लिए और पार्टी की सभी इकाइयों को भी भंग कर दिया। बैठक में पार्टी के पदाधिकारियों के साथ ही चुनाव हारने वाले सभी 402 प्रत्याशियों को भी बुलाया गया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बसपा सुप्रीमो मायावती इस बात से हैरान हैं कि आखिर विधानसभा चुनाव में केवल एक ही सीट जीत सके हैं। अन्य सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। कई सीटों पर तो एसपी प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई। मायावती को उम्मीद थी कि इस विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलेगा, लेकिन हार झेलनी पड़ी। ऐसे में मायावती ने सभी इकाइयों को भंग कर दिया है ताकि नए सिरे से संगठन को तैयार किया जा सके।

बसपा इतिहास दोहराने की करेगी तैयारी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बसपा सुप्रीमो मायावती अपनी पार्टी का इतिहास दोहराने के लिए कड़ी मेहनत करेंगी। बसपा का गठन 1984 में हुआ था। उन्होंने नौ साल तक दलितों को एकजुट करने के बाद 1993 में अपना दमखम दिखाया। उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ 164 सीटों पर चुनाव लड़ा और 67 सीटों पर जीत हासिल की। बसपा को इस चुनाव में 11.12% वोट मिले।

बसपा ने 1996 के चुनाव में 19.64 प्रतिशत वोट हासिल करके 67 सीटों पर जीत हासिल की। बसपा सुप्रीमो ने 2002 में 401 सीटों पर चुनाव लड़ा और 98 प्रत्याशी जीते। इसके साथ वोट प्रतिशत भी बढ़कर 23.06 फीसद हो गया। इसके बाद 2007 में बसपा को 206 सीटें मिलीं, लेकिन 2012 के बाद से बसपा को नुकसान पहुंचना शुरू हो गया। इस चुनाव में पार्टी को 80 सीट मिली, जबकि मतदान प्रतिशत 25.95 फीसद पर गिर गया।

इसके बाद 2017 में तो बसपा को केवल 19 सीटें मिलीं। वोट प्रतिशत भी 22.24 फीसद रहा। बसपा ने दावा किया था कि इस विधानसभा चुनाव में भी बसपा ने अपना इतिहास दोहराने का दावा किया था, लेकिन बुरी तरह मिली हार के बाद उन्होंने सभी इकाइयों को ही भंग कर दिया है ताकि नए सिरे से अपनी पार्टी को खड़ा कर सकें।

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