Mulayam Singh Yadav Funeral: नेताजी के अंतिम दर्शन करने पहुंचे आजम खान के पांव लड़खड़ाए, अखिलेश ने संभाला तो बोले...

मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन (Death) के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया है। इस दौरान नेताजी को श्रद्धांजलि देने के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वरिष्ठ नेता आजम खान (Azam Khan) भी पहुंचे। आजम खान नेताजी मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी लोगों में एक हैं। उनके निधन से आजम खान भी बेहद भावुक और दुखी नजर आए। वे अपने बेटे अब्दुल्ला आजम खान के साथ सैफई पहुंचे और मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि दी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आजम खान मुलायम सिंह के दर्शन करने जा रहे थे तो इसी दौरान उनके पांव लड़खड़ा गए। अखिलेश यादव ने जब उन्हें लड़खड़ाते देखा तो उन्हें संभाला। इसके बाद अखिलेश यादव और अब्दुल्ला आजम खान ने आजम खान को मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर के पास ले गए। यहां आजम खान ने उन्हें नमन किया और श्रद्धांजलि दी। नेताजी को श्रद्धांजलि देने के बाद आजम खान काफी देर तक अखिलेश यादव और परिवार के बाकी सदस्यों के साथ ही बैठे रहे।
वरिष्ठ सपा नेता जनाब आज़म ख़ान साहब ने आदरणीय नेताजी के अंतिम दर्शन कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। pic.twitter.com/zcfUl3ApdU
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) October 11, 2022
आजम खान की तबीयत भी रहती है खराब
बता दें कि आजम खान की तबीयत भी नाजुक रहती है। सीतापुर जेल में बंद रहने के दौरान उन्हें कोरोना हुआ था, जिसके बाद से उनकी तबीयत अक्सर खराब हो जाती है। आजम दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे। नेताजी के निधन की खबर सुनके वे अस्पताल से अपने घर रामपुर पहुंचे। यहां से अपने बेटे अब्दुल्ला आजम खान से साथ नेताजी को श्रद्धांजलि देने के लिए सैफई रवाना हुए। यहां पहुंचकर उन्होंने मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि अर्पित की।
नेताजी के पुराने साथी रहे हैं आजम
आजम खान नेताजी मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी लोगों में से एक हैं। ये समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं। समाजवादी पार्टी की हर सरकार में वे कैबिनेट मंत्री रहे हैं। रामपुर में मुलायम सिंह का जन्मदिन मनाने की बात हो या फिर चुनाव प्रचार में उनके हमसाये की तरह मौजूदगी, आजम खान हमेशा नेताजी के दायें हाथ की तरह मौजूद रहे हैं। हालांकि अपनी बीमारी की वजह से वे उनके अंतिम समय में उनके साथ नही रह पाए।
समाजवादी पार्टी के मुस्लिम-यादव समीकरण में भी इस दोनों का अहम योगदान रहा है। नेताजी मुलायम सिंह यादव से आजम खान का रिश्ता इतना मजबूत था कि नाराजगी के दौर में भी कभी आजम खान ने नेताजी पर सीधा अटैक नहीं किया। अमर सिंह (Amar Singh) से आजम खान की कभी नहीं बनी। अमर सिंह की ही वजह से साल 2009 में आजम खान को समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। हालांकि ये निष्कासन ज्यादा दिन नहीं चला। 2010 में ही आजम खान की समाजवादी पार्टी में वापसी हो गई। इसके बाद 2012 में आई समाजवादी पार्टी की सरकार में भी आजम खान का दबदबा रहा।
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