अमरोहा: सरकार के करोड़ों खर्च, फिर भी पतेई खालसा के 20 हजार से ज्यादा लोग पी रहे दूषित पानी, ओवरहैड टैंक पड़ा वर्षों से लावारिस

अमरोहा: सरकार के करोड़ों खर्च, फिर भी पतेई खालसा के 20 हजार से ज्यादा लोग पी रहे दूषित पानी, ओवरहैड टैंक पड़ा वर्षों से लावारिस
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ग्रामीणों ने बताया कि गांव का भूगर्भ जल (पानी) का टीडीएस (Total Dissolved Solids) अधिक होने के कारण शुद्ध जल को उपलब्ध कराने के लिए 2009-10 में ओवरहैड टैंक का निर्माण किया गया था।

उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा में डिडौली कोतवाली क्षेत्र के गांव पतेई खालसा में जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते करोड़ों की लागत से बना ओवरहैड टैंक कई वर्षों से लावारिस खड़ा हुआ है। इसलिए 20 हजार से ज्यादा आबादी को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा है। ग्राम पंचायत की पूरी आबादी अपने निजी जल संसाधनों पर निर्भर है। लोग हैडपंप और सबमर्सिबल का अशुद्ध पानी पी रहे हैं। जिससे लोगों को कई तरह की परेशानियां सामने आ रही हैं। लोगों को स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां होने का खतरा भी बना हुआ है।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव का भूगर्भ जल (पानी) का टीडीएस (Total Dissolved Solids) अधिक होने के कारण शुद्ध जल को उपलब्ध कराने के लिए 2009-10 में ओवरहैड टैंक का निर्माण किया गया था। ओवरहैड टैंक के पानी की आपूर्ति करने के लिए गांव में पाइपलाइन भी बिछाई गई। एक-दो बार ओवरहैड टैंक से आपूर्ति (सप्लाई) की गई थी। जिससे उस समय ग्रामीणों को साफ पानी मिलने की उम्मीद जगी थी। लेकिन ग्राम प्रधान और जलकल विभाग के अधिकारियों के हमसाज होने के चलते सारी उम्मीद धराशायी हो गईं। तभी से 20 हजार से अधिक आबादी दूषित पानी पी रही है।

लगभग हजारों घरों में हुए थे पानी की आपूर्ति के लिए कनेक्शन

ग्रामीणों ने बताया कि ओवरहैड टैंक से साफ पानी की आपूर्ति के लिए लोगों ने हजारों घरों में कनेक्शन कर लिए थे। हालांकि, पानी की आपूर्ति न मिलने की वजह से कोई बिल भी नहीं आया है। ग्रामीण चाहते हैं कि लोगों को साफ पानी उपलब्ध कराया जाएं। लेकिन जिम्मेदार लोग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

ग्रामीण कई बार कर चुके हैं ओवरहैड टैंक की मांग

ग्रामीणों का आरोप है कि मौजूदा ग्राम प्रधान और जिम्मेदार लोगों ने ओवरहैड टैंक से साफ पानी की आपूर्ति की ओर ध्यान नहीं दिया। जिससे करोड़ों की लागत से बना ओवरहैड टैंक लावारिस खड़ा हुआ है। इसको चालू कराने के लिए कई बार मांग की जा चुकी है, लेकिन ग्राम प्रधान और विभाग के अफसर लापरवाह बने हुए हैं।

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