यूपी के KGMU में खुला प्लाज्मा बैंक, आनंदीबेन ने कहा कोरोना काल में प्लाज्मा थेरेपी से संक्रमितों को मिलेगी राहत

यूपी के KGMU में खुला प्लाज्मा बैंक, आनंदीबेन ने कहा कोरोना काल में प्लाज्मा थेरेपी से संक्रमितों को मिलेगी राहत
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के केजीएमयू में एक प्लाज्मा बैंक की शुरुआत की गई है। इस बैंक का उद्घाटन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के द्वारा की गई है। आनंदीबेन ने कहा कि इस कोरोना महामारी के दौर में इस बैंक के जरिए संक्रमित मरीजों को एक नई जिंदगी मिलेगी।

इस कोरोना महामारी के दौर में उत्तर प्रदेश के लोगों को एक राहत की खबर मिली है। राजधानी लखनऊ के केजीएमयू में एक प्लाज्मा बैंक की शुरुआत की गई है, जो संक्रमित मरीजों के लिए काफी कारगर साबित होगा। इससे संक्रमित मरीजों की मौत में भी कमी देखने को मिलेगी।

केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. विपिन पुरी ने कहा कि प्रदेश में यह पहला प्लाज्मा बैंक है। हालांकि धीरे-धीरे इसे अन्य अस्पतालों में खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि इस प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना महामारी को कम तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन संक्रमित मरीजों को राहत जरूर मिलेगी।

रिकवरी और मृत्यु रेट में आएगी कमी

साथ ही मरीजों के रिकवरी रेट और मृत्यू रेट को कम करने में काफी कारगर सिद्ध होगा। जानकारी के लिए आपको बता दें कि लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) में प्लाज्मा बैंक की शुरुआत 15 अगस्त से हो चुकी है, जिसे KGMU के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में स्थापित किया गया है।

इस प्लाज्मा थेरेपी के जरिए हम उत्तर प्रदेश की जनता तक कोरोना के इलाज को पहुंचा सकते हैं।

संक्रमण से मुक्त मरीजों को करें प्रेरित

उधर, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने प्लाज्मा बैंक का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की दौर में प्लाज्मा थेरेपी संक्रमित मरीजों के लिए काफी कारगर साबित होगा। प्लाज्मा दान उन नागरिकों को प्रेरित किया जाना चाहिए जो संक्रमण से मुक्त हो गए हैं।

ताकि वे प्लाज्मा दान कर सकें और वायरस से संक्रमित मरीजों को एक नई जिंदगी मिल सकें।

प्लाज्मा लेने की यह होती है पूरी प्रक्रिया

ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की हेड ऑफ डिपार्टमेंट तूलिका चंद्रा ने बताया कि प्लाज्मा लेने से पहले प्लाज्मा डोनर की काउंसलिंग एरिया में फिटनेस टेस्ट किया जाता है। इसके बाद बायो मेट्रिक तरीके से पहचान को कन्फर्म किया जाता है।

फिर आई रेज स्कैनिंग के जरिए आंखों की जांच की जाती है ताकि उनकी पहचान हमारे सिस्टम में फीट हो सके। सभी प्रक्रियाओं के बाद प्लाज्मा डोनर के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए मेडिकल टेस्ट किया जाता है।

इसके बाद सभी प्रक्रिया होने के बाद प्लाज्मा डोनर को प्लाज्मा डोनेशन एरिया में भेजा जाता है। फिर यहां पर प्लाज्माफेरेसिस की मशीन के जरिए डोनर अपना प्लाज्मा डोनेट करता है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि प्लाज्मा डोनेट करने से डोनर को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है।


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