संजय सिंह ने भाजपा पर भ्रष्टाचार का लगाया आरोप, कहा- मंदिर निर्माण की आड़ में करोड़ों की जमीन मिनटों में खरीद रहे हैं

रामजन्मभूमि इलाके (Ramjanmabhoomi area) में जमीन खरीदने-बेचने का मामला एक बार फिर गरमा गया है। बुधवार को आम आदमी पार्टी ( Aam Aadmi Party) के प्रदेश प्रभारी राज्यसभा सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने जन्मभूमि के पांच किलोमीटर के दायरे में भाजपा (BJP) नेताओं और अधिकारियों द्वारा जमीन की जालसाजी कर भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया।
इस मौके पर उन्होंने दो टूक कहा कि लोगों ने भगवान श्रीराम के मंदिर (Shri Ram Mandir) के लिए पेट काटकर दान किया था, मां-बहनों ने अपने आभूषण गिरवी रखे थे। हम इसमें कभी भी भ्रष्टाचार (corruption) और लूट नहीं होने देंगे। आप के यूपी प्रभारी ने रामजन्मभूमि के पांच किलोमीटर क्षेत्र में जमीन खरीदने-बेचने का मुद्दा उठाकर न सिर्फ गंभीर आरोप लगाए, बल्कि यह भी कहा कि बीजेपी विधायकों, उनके रिश्तेदारों और उनके मेयर ने जमीन खरीदी है, उनका पूरा खाका मेरे पास है।
संजय सिंह ने कहा कि रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण (temple construction) की आड़ में दो करोड़ की जमीन पांच मिनट में कैसे खरीदी, यह तो मैंने बहुत पहले ही बता दिया था। भ्रष्टाचार में डूबे ट्रस्ट के पदाधिकारियों समेत भाजपा नेताओं का जब पर्दाफाश हुआ तो मेरे खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हुए।
विश्व हिंदू परिषद, भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और ऐसे सभी नेता, विधायक-मंत्री आदि कह रहे थे कि वे मुझ पर मानहानि का मुकदमा करेंगे। आज तक उन्होंने मानहानि का मुकदमा दायर करने की हिम्मत नहीं की क्योंकि पूरी भारतीय जनता पार्टी भगवान श्री राम के मंदिर के नाम पर उस क्षेत्र में भूमि घोटाला और भ्रष्टाचार करने में लगी हुई है।
संजय सिंह ने ताजा खुलासा करते हुए कहा कि मेरे पास इस बात का पूरा खाका है कि कैसे सभी पदाधिकारियों, भारतीय जनता पार्टी के विधायकों, उनके रिश्तेदारों और भाजपा के मेयर ने राम जन्मभूमि क्षेत्र के पांच किलोमीटर के दायरे में जमीन खरीदी है। संजय सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में नियम है कि 3.5 बीघे से ज्यादा जमीन का मालिक दलित ही इसे बेच सकता है, नहीं तो वह इसे बेच नहीं सकता।
इसमें सबसे पहले रोघई नाम के व्यक्ति को तैयार किया गया था, क्योंकि दलित की जमीन एक दलित ही खरीद सकता है, यह ट्रस्ट के लोगों को पता था। रोघई ने उस इलाके के दलितों से 21 बीघा जमीन खरीदी, जिनके पास एक या दो बीघा जमीन थी। फिर उन्होंने 21 बीघा जमीन महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट (Maharishi Ramayana Vidyapeeth Trust) को दान कर दी। जब जमीन दान में दी गई और इसकी जानकारी दलित विक्रेता महादेव को हुई तो उन्होंने शिकायत की। उन्होंने कहा कि हमारी जमीनों को गलत तरीके से खरीदा और बेचा जा रहा है, जो ट्रस्ट नहीं कर सकता।
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