Sunday Special : कोरोना नियंत्रण के लिए डब्ल्यूएचओ और नीति आयोग ने योगी सरकार को सराहा, विपक्ष अभी भी हमलावर, जानिये क्या कहते हैं आंकड़ें

Sunday Special : कोरोना नियंत्रण के लिए डब्ल्यूएचओ और नीति आयोग ने योगी सरकार को सराहा, विपक्ष अभी भी हमलावर, जानिये क्या कहते हैं आंकड़ें
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और नीति आयोग (Niti Aayog) ने कोरोना के खिलाफ जंग में यूपी मॉडल की सराहना की है। योगी सरकार के दावों और विपक्ष के आरोपों के बीच जानिये आंकड़ें क्या बयां कर रहे हैं।

देश में कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave) के बीच उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी सरकार (Yogi Govt) को जहां कोविड प्रबंधन (Covid Management) के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और नीति आयोग (Niti Aayog) जैसी संस्थाओं से सराहना मिल रही है, वहीं विपक्ष लगातार सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) पर हमले बोल रहा है। विपक्ष का आरोप है कि प्रदेश सरकार वास्तविक आंकड़ें छिपाकर वाहावाही लूटने में लगी है, जबकि हकीकत इससे उलट है। बहरहाल आरोप-प्रत्यारोप में उलझे बिना उन आंकड़ों पर बात करते हैं, जिनके आधार पर यूपी मॉडल को कोरोना से जंग के खिलाफ अन्य राज्यों के लिए नजीर बताया गया है।

पंचायत चुनाव के बाद सख्ती

आंकड़ें बताते हैं कि यूपी में पंचायत चुनाव (UP Panchayat Chunav 2021) के दौरान स्थिति नियंत्रण से बाहर निकल चुकी थी। यूपी चुनाव के नतीजे (Panchayat Chunav Result) दो मई को आए थे, लेकिन 24 अप्रैल को ही प्रदेश में एक दिन के भीतर 38055 नए मरीज मिले थे, जो कि एक दिन में मिलने वाले मरीजों के लिहाज से रिकॉर्ड थे।


इसका मतलब यह हुआ कि जब से कोरोना संक्रमण प्रदेश में आया, तब से अब तक इतनी ज्यादा संख्या में एक दिन में नए मरीज कभी सामने नहीं आए थे। हालांकि उस वक्त मौतें 223 ही बताई गईं थीं। यह तब की स्थिति थी, जब योगी सरकार बाकायदा वीकेंड लॉकडाउन (Weekend Lockdown) भी लगा रही थी। इसके बाद कभी नए मरीजों की संख्या घटती तो कभी बढ़ जाती, लेकिन 27 हजार से नीचे नहीं आई। आंकड़ों में नियमित रूप से सुधार आना तब शुरू हुआ, जब प्रदेश पंचायत चुनाव का खुमार लोगों के सिर से उतर गया।

एक से सात मई के बीच आया उतार-चढ़ाव

योगी सरकार के लिए एक से सात मई के बीच का समय कोरोना से जंग के खिलाफ बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ। आंकड़ों पर नजर डालें तो इस अवधि में भी कोरोना संक्रमित मरीज मिलने की संख्या और मौतों में तो उतार-चढ़ाव आता रहा, लेकिन एक्टिव मरीजों की संख्या में निरंतर कमी आई। सीएम योगी ने खुद इसका दावा करते हुए बताया था कि एक से सात मई के बीच राज्य में कोरोना एक्टिव मरीजों (Corona Active Patient In UP) की संख्या में 65000 की कमी आई है। राज्य में 2,45,000 कोरोना सक्रिय मामले हैं। इस बीच प्रदेश में लॉकडाउन की अवधि भी लगातार आगे बढ़ाई जाने लगी। दो मई को दस मई तक के लिए और नौ मई को 17 मई तक के लिए और 15 मई को 24 मई तक के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिया गया।


सात मई के बाद से कोरोना संक्रमित रोजाना मिलने वाले नए मरीजों की संख्या में भी कमी आनी शुरू हो गई। आंकड़ों के मुताबिक सात मई को उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 26847 नए मामले सामने आए थे और दो दिन के भीतर ही इसमें पांच हजार से ज्यादा की कमी आ गई। 9 मई को 21331 नए केस मिले थे। 13 मई को यहां आंकड़ा गिरकर 15,747 हो गया, जबकि 15 मई को 12547 नए मरीज मिले हैं।

इन कदमों से मिली सफलता

ऑक्सीजन क्राइसिस : उत्तर प्रदेश में भी अन्य राज्यों की तरह मेडिकल ऑक्सीजन का संकट (Medical Oxygen Crisis) गहराया, लेकिन योगी सरकार ने बिना वक्त गंवाए इससे निपटने के प्रयास तेज कर दिए। झारखंड के जमशेदपुर और बोकारो से लखनऊ तक स्पेशल ट्रेन (Oxygen Special Train) चलाकर मेडिकल ऑक्सीजन के टैंकर मंगवाए गए। यह आपूर्ति बिना बाधा चलती रहे, इसके लिए ऑक्सीजन टैंकर एयरलिफ्ट भी कराए गए।


उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल के मुताबिक प्रदेश में 377 अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का कार्य तेजी से चल रहा है, 15 अस्पतालों में प्लांट शुरू भी हो गए हैं। नीति आयोग ने योगी सरकार के ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट ट्रैकिंग सिस्टम को भी सराहा। आयोग के मुताबिक इस सिस्टम से ऑक्सीजन टैंकरों की रियल टाइम लोकेशन पता लगा सकते हैं, जिससे यूपी में बेहतर ऑक्सीजन आवंटन संभव हुआ है। पहले जहां 250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की उपलब्धता हो पा रही थी वहीं अब 1000 मीट्रिक टन होने लगी है।

वैक्सीनेशन ड्राइव : उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है, जो कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर तय समय के अनुसार 18 से 45 वर्ष के आयुवर्ग के लोगों के लिए एक मई से वैक्सीनेशन अभियान (Vaccination Drive) शुरू कर पाया। दिल्ली, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्य जहां संबंधित कंपनियों द्वारा वक्त से वैक्सीन न मिलने पर एक मई से यह अभियान चलाने में अससमर्थता जता रहे थे, वहीं यूपी सरकार ने 25 अप्रैल से पहले ही दोनों स्वदेशी वैक्सीन निर्माता कंपनियों को 50-50 लाख डोज का ऑर्डर दे दिया था। शुरुआत में लखनऊ, प्रयागराज समेत सर्वाधिक प्रभावित सात जिलों में वैक्सीनेशन अभियान चलाया गया, बाद में इसका विस्तार सभी नगर निगमों तक कर दिया गया। सोमवार से इस अभियान का और भी विस्तार किया जा रहा है।


उत्तर प्रदेश अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद के मुताबिक अब तक कुल मिलाकर 1,13,82,604 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज़ दी गई है और 30,54,258 लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज़ लगाई गई है। 17 मई से 10-44 आयु वर्ग का वैक्सीनेशन अभियान 23 जनपदों में चलाया जाएगा।

ट्रिपल टी फार्मूला कारगर : यूपी सरकार ने ट्रिपल टी फार्मूला (ट्रैकिंग, टेस्टिंग, ट्रीट) पर काम किया, जो कि कारगर रहा। गांव-गांव जाकर कोरोना संक्रमित नए मरीज तलाशने के लिए निगरानी समितियों का गठन किया गया। डब्ल्यूएचए के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के सभी गांवों के सभी घरों तक पहुंचने के लिए 141,610 टीमें और 21,242 सुपरवाइजर तैनात किए। होम आइसोलेट मरीजों को उनके घरों के भीतर सुविधाएं मुहैया कराई गईं और जागरुकता अभियान चलाया गया, जो कि कोरोना प्रबंधन के लिए बेहद उपयोगी कदम है।


योगी सरकार के मुताबिक प्रदेश में रोजाना ढाई लाख से ज्यादा सैंपल की जांच की जा रही है। अब तक प्रदेश में कुल 4,41,70,466 सैंपल्स की जांच की जा चुकी है। इसके अलावा लखनऊ समेत कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में कोविड अस्पतालों का निर्माण किया गया। यह कार्य लगातार चल रहा है। योगी सरकार का दावा है कि यूपी सबसे पहले कोरोना मुक्त होगा। यह दावा हकीकत में बदलता है या नहीं, यह भी जल्द सामने आ जाएगा।

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